पाकिस्तान ने जम्मू और कश्मीर को लेकर परिसीमन आयोग की रिपोर्ट पर कड़ी प्रतिक्रिया दी है। पाकिस्तानी विदेश मंत्रालय ने भारत के चार्ज डी अफ़ेयर्स को बुलाकर परिसीमन आयोग की रिपोर्ट को खारिज किया है।

जम्मू और कश्मीर परिसीमन आयोग को भारत सरकार ने राज्य की विधानसभा और लोकसभा सीटों के पुनर्गठन का काम दिया था। जस्टिस (रिटायर्ड) रंजना देसाई की अगुवाई वाले तीन सदस्यीय परिसीमन आयोग ने गुरुवार को केंद्रशासित प्रदेश जम्मू और कश्मीर की विधानसभा सीटों के पुनर्गठन पर अपनी रिपोर्ट सरकार को सौंप दी।

इस परिसीमन आयोग का गठन मार्च 2020 में किया गया था। गुरुवार को जारी की गई रिपोर्ट में जम्मू क्षेत्र को विधानसभा में छह अतिरिक्त सीटें और कश्मीर घाटी को एक सीट देने की सिफारिश की गई है। इस रिपोर्ट के लागू होने के बाद 90 सदस्यीय जम्मू और कश्मीर विधानसभा में जम्मू क्षेत्र में 43 विधानसभा सीटें और कश्मीर घाटी में 47 सीटें होंगी।

गुरुवार को पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय ने भारतीय उच्चायोग के चार्ज डी अफेयर्स को तलब किया। पाकिस्तान ने अपनी शिकायत में कहा है कि इस परिसीमन आयोग का मक़सद जम्मू और कश्मीर की मुस्लिम बहुल आबादी को ‘कमज़ोर करना और उन्हें मताधिकार से वंचित करना’ है। पाकिस्तानी विदेश मंत्रालय के बयान में कहा गया है, “भारतीय पक्ष को ये बताया गया कि परिसीमन की पूरी प्रक्रिया ही हास्यास्पद है और जम्मू और कश्मीर के राजनीतिक दलों ने पहले ही इसे खारिज कर दिया है। इसके जरिए भारत 5 अगस्त 2019 को लिए गए अपने अवैध फ़ैसले को वैधता देना चाहता है।”

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साल 2019 में भारत ने जम्मू और कश्मीर के विशेष राज्य के दर्जे को खत्म कर दिया था। इससे नाराज़ होकर पाकिस्तान ने भारत के साथ अपने कूटनीतिक संबंधों का दर्जा कमतर किया था और इस्लामाबाद के भारतीय उच्चायुक्त को निष्कासित कर दिया था। भारत अंतर्राष्ट्रीय समुदाय से बार-बार ये कहता रहा है कि आर्टिकल 370 ख़त्म करने का फ़ैसला उसका आंतरिक मामला है। भारत ने पाकिस्तान से भी बार-बार ये कहा है कि जम्मू और कश्मीर देश का अभिन्न अंग था, है और हमेशा रहेगा। उसने पाकिस्तान को इस वास्तविकता को स्वीकार की भी सलाह दी है।

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