पाकिस्तान कहो या आतंकी स्थान यानी आतंक को पनाह देने वाला देश। अतांकियों के जरिए पाकिस्तान की नापाक साजिश पर फाइनेंशिल एक्शन टॉस्क फोर्स यानी FATF ने बड़ी चोट मारी है। पेरिस में हुई ऑनलाइन बैठक में पाकिस्तान को ग्रे लिस्ट में ही रखे जाने पर फिर से मुहर लग गई है। शुक्रवार शाम को जारी किए गए बयान में FATF ने बताया कि पाकिस्तानी सरकार आतंकवाद के खिलाफ 27 सूत्रीय एजेंडे को पूरा करने में विफल रही है। FATF ने यह भी कहा कि पाकिस्तान ने संयुक्त राष्ट्र के प्रतिबंधित आतंकवादियों के खिलाफ भी कोई ठोस कार्रवाई नहीं की है। पाकिस्तान फरवरी 2021 तक ग्रे लिस्ट में ही रहेगा। FATF ने कहा कि पाकिस्तान ने आजतक हमारे 27 कार्ययोजनाओं में से केवल 21 को ही पूरा किया है। अब इसे पूरा करने की समयसीमा खत्म हो गई है। इसलिए, FATF 2021 तक पाकिस्तान से सभी कार्ययोजनाओं को पूरा करने का अनुरोध करता है।

पाकिस्तान के साथी Vs विरोधी

बैठक में तुर्की पाकिस्तान का खुलकर बचाव करता दिखा। उसने सदस्य देशों से कहा कि हमें पाकिस्तान के अच्छे काम पर विचार करना चाहिए और 27 में 6 मानदंडों को पूरा करने के लिए थोड़ा और इंतजार करना चाहिए। लेकिन, FATF के बाकी देशों ने तुर्की के इस प्रस्ताव को खारिज कर दिया। कुछ दिन पहले ही पाकिस्तानी विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी ने तुर्की, मलेशिया और सऊदी अरब से सहायता मांगी थी। दूसरी तरफ नामित करने वाले चार देश-अमेरिका, ब्रिटेन, फ्रांस और जर्मनी पाकिस्तान की सरजमीं से गतिविधियां चला रहे आतंकी संगठनों के खिलाफ लगातार शख्त कार्रवाई की मांग कर रहा है। FATF ने पाकिस्तान को आतंकवाद के वित्तपोषण को पूरी तरह रोकने के लिए कुल 27 कार्ययोजनाएं पूरी करने की जिम्मेदारी दी थी जिनमें से उसने अभी 21 को पूरा किया है और कुछ काम पूरे नहीं कर सका है।

कंगाल पाकिस्तान की हालत और खराब

पहले से कंगाल पाकिस्तान की हालात और खराब होने वाली है। अगर आगे भी वह FATF की ग्रे लिस्ट में बना रहता है तो उसकी आर्थिक स्थिति का और बेड़ा गर्क होना तय है। पाकिस्तान को अंतरराष्‍ट्रीय मुद्राकोष, विश्‍व बैंक और यूरोपीय संघ से आर्थिक मदद मिलना भी मुश्किल हो जाएगा। दूसरे देशों से भी पाकिस्तान को आर्थिक मदद मिलना बंद हो सकता है। क्योंकि, कोई भी देश आर्थिक रूप से अस्थिर देश में निवेश करना नहीं चाहता है। अगर पाकिस्तानी मीडिया रिपोर्ट की बात करें, पाकिस्तान का सार्वजनिक ऋण इस साल जून तक बढ़कर 37,500 अरब पाकिस्तानी रुपये या सकल घरेलू उत्पाद का 90 प्रतिशत हो जाएगा। रिपोर्ट में कहा गया है कि पाकिस्तान सिर्फ इस साल ही कर्ज चुकाने पर 2,800 अरब रुपये खर्च करेगा जो संघीय राजस्व बोर्ड के अनुमानित कर संग्रह का 72 प्रतिशत है। दो साल पहले जब पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ सरकार सत्ता में आई थी, तब सार्वजनिक ऋण 24,800 लाख करोड़ रुपये था, जो तेजी से बढ़ रहा है।

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