पिछले दो सालों में हमारी आम जिंदगी कोरोना के कारण जैसे बिलकुल बदल चुकी हैं, अब हम बाहर जाने से पहले मास्क, हैंड सैनिटाइजर ढूंढते हैं। कोरोना से बचाव के लिए वैक्सीन ले रहे हैं, भीड़- भाड़ वाली जगहों पर जाना कम कर रहे हैं। एक दूसरे से करीब छह गज कि दूरी बना कर खड़े होते हैं। इस कोरोना महामारी ने हमें पूरी तरह बदल दिया हैं अब हम हेल्थ हाईजीन की चिंता करते है। यह जानलेवा महामारी अभी पूरी तरह गई भी नहीं हैं और लोगों ने इसे मज़ाक कि तरह ले लिया हैं। ये महामारी अब तक लाखों लोगों की जाने ले चुकी हैं, हमे इसके खिलाफ सजक रहना चाहिए, ना की इसका मज़ाक बनाना चाहिए।

हम सब अच्छी तरह जानते हैं कि सोशल मीडिया पर मिली हर ख़बर सही नहीं होती, सोशल मीडिया की ज्यादातर खबरे फेंक होती हैं जिनपर हमे भरोसा नही करना चाहिए। ऐसे ही आज कल सोशल मीडिया पर कोरोना को लेकर एक फेंक खबर व मैसेज वायरल हो रहा हैं। बीते दिनों में एक न्यूज क्लिप सामने आई हैं, जिसके मुताबिक नॉर्वे ने कोविड -19 को एक बार फिर से क्लासीफाइड किया हैं। इस क्लिप में कहा गया है कि कोरोना एक आम फ्लू से भी कम खतरनाक हैं, यह जानलेवा नहीं हैं। इस क्लिप को अब तक लाखों लोग देख चुके हैं और यह काफी तेजी से फैल रहा हैं, आपको इससे सुरक्षित रहना है और ऐसे किसी भी खबर पर भरोसा नहीं करना हैं।

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जिन लोगो ने इस क्लिप को देखा हैं वह इसपर अलग-अलग कॉमेंट कर रहे हैं, इस क्लिप से उन लोगों को काफी खतरा हो सकता हैं। जो इसे देखने के बाद कोरोना महामारी को हल्के में लेने लगेगे, जबकि अभी भी यह महामारी पुरी तरह टली नहीं हैं। अभी भी उम्मीद जताई जा रही है कि इसकी तीसरी लहर भी आ सकती है, इसलिए हमे सावधानी रखने की बहुत जरूरत हैं। ऐसे में लोगों को यह जानने की जरूरत है कि आखिर इस क्लिप का असली सच क्या हैं।

वायरल क्लिप का सच

सोशल मीडिया पर फैल रहे इस क्लिप में बताया गया है कि नॉर्वे में कोरोना महामारी को दोबारा से क्लासीफाइड किया गया है। इस क्लिप के अनुसार कोरोना एक आम फ्लू से भी कम खतरनाक हैं, इसपर कई लोगों ने अपनी प्रतिक्रियाएं थम्सअप का साइन बना कर दी हैं तो कई लोग कॉमेंट कर रहे है “गो नॉर्वे”। इस पूरे न्यूज क्लिप की जड़ तक जांच करने पर यह बात सामने आई हैं कि नॉर्वे में भारत की तुलना में कोरोना केस कम हो गए हैं, इस लिए नॉर्वे सरकार ने आम जनता पर से सारे प्रतिबंध हटा दिए हैं, लोग अब धीरे-धीरे अपनी आम जिंदगी में लौट रहे हैं। नॉर्वे ने प्रतिबंध तो हटाए हैं किंतु उसने कोरोना को दोबारा वर्गीकृत नहीं किया हैं।

नॉर्वे ने किसी तरह का कोई बयान भी जारी नहीं किया है जिसमे कोरोना को दोबारा वर्गीकृत करने की बात कही गई हो।
नॉर्वे सरकार ने यह भी नहीं कहा है कि कोरोना आम फ्लू से कम खतरनाक हैं, ऐसे में एक प्रश्न उजागर होता है की आखिर फिर इस क्लिप कि सच्चाई क्या हैं। इसका पता लगाने के लिए हमने गूगल पर नॉर्वे और कोरोना से जुड़े कुछ कीवर्ड डाले, जिसके बाद हमारे सामने 23 सितंबर की एक रिपोर्ट आई। जो कि फ़्री वेस्ट मीडिया पर डाली गई थी, यह वही रिपोर्ट थी जो आज कल सोशल मीडिया पर वायरल हो रही हैं।

आर्टिकल में एनआईपीएच के एक सीनियर अधिकारी ने कहा है कि हम कोरोना के एक नए स्टेज में हैं, जहां हमे कोरोना महामारी को मौसमी बदलाव के साथ कई सांस से जुड़े रोगों में से एक के रोप में देखना चाहिए। इसी खोज के दौरान हमें अमेरिका के एक प्रसिद्ध न्यूज पेपर का आर्टिकल मिला , जिसमे इस पूरे वायरल क्लिप को सच बताया गया था। इस आर्टिकल के अनुसार ये फेक है कि नॉर्वेजियन इंस्टीट्यूट ऑफ पब्लिक हेल्थ ने दावा किया है कि कोविड सामान्य फ्लू से ज्यादा खतरनाक नहीं है। अंत में इस पूरी जांच का यह निष्कर्षनिकाला की नॉर्वे सरकार ने प्रतिबंध तो हटाए हैं किंतु उसने कोरोना को दोबारा वर्गीकृत नहीं किया हैं। ना ही उन्होंने कहा है कि कोरोना एक आम फ्लू से भी कम खतरनाक है।

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