भारत में ढेरों ऐसे मंदिर हैं जिनकी अपनी मान्यता है। लोगों का विश्वास अपनी आस्था ऐसे मंदिरों से जुड़ी हुई है। फर्रुखाबाद जिले में एक ऐसा ही तालाब है। जिसकी अपनी मान्यता है, जिसमें स्नान करने मात्र से असाध्य से असाध्य चर्म रोग दूर हो जाते हैं। शमशाबाद ब्लॉक क्षेत्र में बने इस तालाब का नाम चिंतामणि हैं। फर्रुखाबाद जिले के शमशाबाद ब्लॉक क्षेत्र में ये ऐतिहासिक तालाब है। इस तालाब में स्नान करने दूर दराज से श्रद्धालु यहां आते हैं। मान्यता है कि इसमें स्नान करने से चर्म रोग ठीक हो जाता है। चिंतामणि तालाब के बारे में ग्रामीणों का कहना है कि इस तालाब का पानी कभी सूखता नहीं है। तालाब के अंदर 7 कुएं बने हुए हैं। अंदर ही अंदर और किनारे पक्की सीढ़ियां बनी हैं. इस तालाब की गहराई करीब 30 फीट है।

क्या है मान्यता ?

अगर यहां रहने वाले लोगों की माने तो, राजा चिंतामणि को कुष्ठ रोग हो गया था। वह गंगा स्नान के लिए हरिद्वार जा रहे थे। नगला नान के पास राजा चिंतामणि ने शौच के बाद तालाब में स्नान किया तो उन्हें कोढ़ में कुछ लाभ मिला। इस पर उन्होंने रोजाना तालाब में स्नान करना शुरू कर दिया और उन्हें कोढ़ रोग से मुक्ति मिल गई। इस तालाब का एक पौराणिक महत्व है। ऐतिहासिक रूप से देखा जाए तो महाभारत समय से इसका काल जोड़ा जाता है। इस तालाब के पास पांडवों ने अपना एक साल अज्ञातवास यहां बिताया था।

हर साल लगता है मेला

पांडेश्वर नाथ मंदिर जिसकी फर्रुखाबाद में स्थापना हुई, उसके बाद इस तालाब में भी उनके संपर्क के कुछ प्रमाण मिले हैं। साथ ही यह भी कहा जाता है कि राजा चिंतामणि को कुष्ठ रोग था। इस तालाब के जल से उनका कुष्ट रोग सही हो गया था। ग्रामीणों की माने तो- लोगों का भरोसा है कि इस जल से उनका कुष्ठ रोग या अन्य बीमारियां दूर हो जाती हैं। राजा चिंतामणि तालाब किनारे हर साल कार्तिक पूर्णिमा, माघी पूर्णिमा और जेस्ट दशहरा को मेला लगता है। इस मेले में कई जिलों से श्रद्धालु आकर अपने बच्चों का मुंडन और प्रसान आदि कार्यक्रम करते हैं।

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