18 सितंबर यानि की कल से अधिक मास शुरू हो रहा है। जिसे मलमास के नाम से जानते हैं। ये महीना भगवान विष्णु और शिव का महीना है। तभी तो जिन लोगों को भी भगवान विष्णु और शिव से विशेष लगाव होता है, वो लोग इस महीने में सच्चे दिल से पूजा करते हैं और मन चाहा फल पाते हैं। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार इस महीने में जितना हो सकें दान-पुण्य करें, कहा जाता है कि, इस महीने जितना भी आप पूजा पाठ और दान करेंगे। उसका बहुत लाभ होगा। इन दिनों भगवत पुराण का पाठ किया जाता है। मलमास में किसी भी तरह का शुभ कार्य नहीं करना चाहिए। इसके साथ ही इस महीने सत्यनारायण का पाठ कराना चाहिए। इसके साथ ही मलमास में पीले कपड़े पहनने को कहा जाता है।

इसके साथ ही 18 सितंबर को चंद्रमा और सूर्य दोनों ही ग्रह कन्या राशि में प्रवेश करेंगे। अधिक मास में किसी भी प्रकार कोई भी मांगलिक कार्य नहीं करना चाहिए। इस समय शुभ कार्य करने से सिर्फ कार्य बिगड़ते हैं। तभी कहा जाता है कि, अधिक मास में शादी-विवाह, मुंडन, गृह प्रवेश आदि के कार्य करने से बचना चाहिए। इसके साथ ही इस माह में रोग निवृत्ति के अनुष्ठान, ऋण चुकाने का कार्य, शल्य क्रिया, संतान के जन्म संबंधी कर्म, सूरज जलवा आदि किए जा सकते हैं। इसके साथ ही अधिक मास को लेकर एक मान्यता ये भी है कि, अधिक मास में किसी वस्त्र-आभूषण या फिर वाहन आदि की खरीदारी करने से बचना चाहिए।

क्या होता है अधिक मास?

अधिक मास को सूर्य और चंद्रमा की चाल से जोड़कर देखा जाता है। सूर्य वर्ष 365 दिन और 6 घंटे का माना जाता है, वहीं. चंद्रमा वर्ष 354 दिन का माना जाता है। इन दोनों वर्षों के बीच 11 दिन का अंतर होता है। यह अंतर 3 साल में एक माह के बराबर हो जाता है। इसी अंतर को दूर करने के लिए हर तीन साल में एक बार चंद्रमास आता है। जिसकी  हिन्दू धर्म मे बहुत मान्यता है।

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आरोही डीएनपी इंडिया में मनी, देश, राजनीति , सहित कई कैटेगिरी पर लिखती हैं। लेकिन कुछ समय से आरोही अपनी विशेष रूचि के चलते ओटो और टेक जैसे महत्वपूर्ण विषयों की जानकारी लोगों तक पहुंचा रही हैं, इन्होंने अपनी पत्रकारिका की पढ़ाई पीटीयू यूनिवर्सिटी से पूर्ण की है और लंबे समय से अलग-अलग विषयों की महत्वपूर्ण खबरें लोगों तक पहुंचा रही हैं।

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