हिंदू धर्म में पितृपक्ष शुरू होने जा रहा है जो 2 सितंबर से 17 सितंबर तक रहेगा। अगर ग्रर्थों की माने तो उसमें कहा गया है मृतकों को तीर्थ स्थलों पर जाकर श्राद्ध करने का ज्यादा महत्व होता है। लेकिन इस साल कोरोना वायरस के कारण इस साल तीर्थ स्थल पर श्राद्ध करना मुमकिन नहीं है तो आप अपने घर में भी शांति पुर्ण श्राद्ध कर सकते हैं। ये श्राद्ध 16 दिन तक चलते हैं।
क्या होता है पितृपक्ष
बता दें कि पितृपक्ष हमारे परिवार के वो लोग होते हैं जो देहांत कर जाता है उन्हें पितृ कहा जाता है। ऐसा माना जात है कि मृत्यू के बाद जब तक उनका जन्म नहीं हो जाता तब तक वो सुक्ष्म लोक में रहते हैं। माना जाता है कि पितृ अपने परिवार के लोगों को सुक्ष्मलोक से ही आशिर्वाद देते रहते हैं। ऐसा भी माना जाता है कि अगर पितृ सुक्ष्मलोक में हैं तो या तो उनका दूसरा जन्म होगा और अगर जन्म नहीं हुआ है तो उनकी आत्मा भटकती नहीं है। जब पितरों नियमित रूप से याद किया जाता है तो वो सुक्ष्मलोक से ही अपने परिवार जनों को अपना आशीर्वाद देते हैं।
पितृपक्ष में माना जाता है कि इन दिनों में पितरों का श्राद्ध किया जाए तो वो सुक्ष्मलोक से आकर अपने परिवार का ध्यान रखते हैं और आशीर्वाद देते हैं। पितृ अपने परिवार वालों को आशीर्वाद देकर उनकी समस्याओं का समाधान करते हैं। पितृपक्ष में अपने पितरों को याद किया जाता है और उनकी याद में दान धर्म का पालन करते हैं। पितरों के लिए दान करते हैं धर्म के मार्ग पर चलते हैं।
किन की करें पूजा
बता दें कि इन दिनों में पितरों के नाम से चीज़ें दान में देने से परिवार वालों को स्वर्ग मिलता है। इसके साथ ही उनके याज्ञवल्क्य स्मृति और यम स्मृति में भी बताया गया है। इन 16 दिनों में पितरों के लिए विशेष पूजा करानी चाहिए। इनके अलावा पितरों के लिए दान करते हैं ताकि उनकी आत्म को शांति मिले। ब्रह्म, विष्णु, नारद, स्कंद और भविष्य पुराण में बताया गया है। इन पुराणों में बताया गया है कि किस तरह से पितृपक्ष की पूजा की जाती हैं। ग्रंथों में कहा गया हैं मृत्यूलोक में अपने अपने वंशजों को देखने के लिए आते हैं और तर्पण ग्रहण करके लौट जाते हैं।