गलवान घाटी में चीन की धोखेबाजी के 18 दिन बाद शुक्रवार को पीएम मोदी ने अचानक लेह का दौरा किया । इस दौरे का मकसद जवानों का हौसला बढ़ाना और चीन को शख्त हिदायत देना था कि उसकी हरकत भारत बर्दास्त नहीं करेगा ।

पीएम मोदी ने अचानक लेह का दौरा किया (ANI)

करीब 10 घंटे के लेह दौरे के दौरान पीएम मोदी ने सीधे तौर पर कहीं भी चीन का नाम नहीं लिया । लेकिन पीएम मोदी के दौरे से डरे चीन ने 2 बार बयान जारी कर दिया । लेह दौरे के दौरान पीएम मोदी ने जवानों से मुलाकात की और उन्हें संबोधित किया । इस दौरान पीएम मोदी ने बिना चीन का नाम लिए कहा कि भारत हर आक्रमण के बाद और मजबूत होकर उभरा है। कमजोर शांति की पहल नहीं कर सकता। वीरता ही शांति की शर्त होगी। इस बयान ले कुछ घंटों बाद ही चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता झाओ लिजिआन ने कहा- भारत और चीन के बीच बातचीत जारी है। हम मिलिट्री और डिप्लोमैटिक चैनल के जरिए भी हालात को सामान्य बनाने और तनाव को कम करने की कोशिश कर रहे हैं। किसी भी पक्ष को ऐसी किसी गतिविधि में शामिल नहीं होना चाहिए जो इस मौके पर हालात को बिगाड़े।

पीएम मोदी ने अपने लेह दौरे के दौरान घायल जवानों से भी मुलाकात की और उनका हाल जाना | जैसे ही पीएम मोदी कि घायल जवानों से मुलाकात की तस्वीरें सामने आई, उसके कुछ देर बाद पीएम मोदी के विस्तारवादी वाले बयान पर चीन की एक और प्रतिक्रिया सामने आ गई । जबकि पीएम मोदी ने बिना चीन का नाम लिए कहा था कि – विस्तारवाद का युग खत्म हो चुका है।

अब विकासवाद का समय आ गया है। तेजी से बदलते हुए समय में विकासवाद ही प्रासंगिक है। विकासवाद के लिए अवसर है और विकासवाद ही भविष्य का आधार है। पीएम मोदी के इस बयान से चीन को मिर्ची लग गई। और चीन पड़ोसी देशों के साथ शांतिपूर्ण रिश्तों की दुहाई देने लगा । चीन ने कहा कि हमने अपने 14 में से 12 पड़ोसी देशों के साथ शांतिपूर्ण बातचीत के जरिए सीमांकन तय किया। हमने सीमाई इलाकों को दोस्ताना सहयोग की जमीन में तब्दील किया। चीन को विस्तारवादी नजरिए से देखना बेबुनियाद है। यह बढ़ा-चढ़ाकर कही गई बात है और पड़ोसियों के साथ विवादों को जन्म दिया जा रहा है। तो साफ है पीएम मोदी के लेह दौरे से चीन घबरा गया है । तभी तो 1 दिन में 2 बयान जारी कर दिए । पहले बयान में दोनों देशों के बातचीत की दुहाई दी तो दूसरी बार पीएम मोदी के विस्तारवादी होने के बयान को खुद के ऊपर ही ले लिया । दूसरी तरफ चीन हर बार विवाद को बातचीत के जरिए हल करने की बात तो कह रहा है लेकिन चीन के मुंह में राम और बगल में छुरी वाली हरकत है । ऐसा लगता है धोखेबाज चीन बातचीत के जरिए विवाद को खत्म करना ही नहीं चाहता है । वो सिर्फ बातचीत का दिखावा करता है। लेकिन अब चीन की कोई चालबाजी काम नहीं आएगी क्यों की मोदी सरकार और भारतीय सेना के जांबाज चीन से बदला लेने की ठान चुके हैं ।

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