गाजियाबाद: गाजियाबाद के मुरादनगर में हुए दर्दनाक हादसे को लेकर अब जांच शुरु हो गई है. शुरुआती जांच में जो जानकारी सामने आई है, उसके अनुसार भ्रष्टाचार के कई सुबूत जांच टीम के हाथ लगे हैं। शुरुआती जांच में जानकारी सामने आई है, उसके अनुसार श्मशान घाट का गलियारा बेहद हीं लापरवाही के साथ बनाया गया था। इसके पिलर्स के बीच उचीत दूरी नहीं थी। वहीं डिजाइन से लेकर लिंटर और गलियारे के साइज को लेकर भी सवाल उठाए गए हैं। जिस जगह पर कमसे कम 18 पिलर होने चाहिए थे, वहां सिर्फ 12 पिलर बनाए गए थे। इसी के कारण मुरादनगर में श्मशान घाट का गलियारा ढहा, जिसमें 24 लोगों की मौत हो गई।

निर्माण समाग्री की होगी जांच:
श्मशान घाट के गलियारे के निर्माण की जांच के लिए भी प्रशासन ने कमर कस ली है। बताया जा रहा है कि निर्माण सामग्री की आईआईटी रुड़की के एक्सपर्ट्स से जांच करवाई जा सकती है। गाजियाबाद के प्रशासनिक अधिकारियों की माने तो शुक्रवार को रिपोर्ट डीएम को सौंपी जाएगी। इस पूरे मामलें की जांच के लिए जीडीए के चीफ इंजीनियर वीएन सिंह की अध्यक्षता में एक टीम का गठन किया गया था, जो इस मामलें की जांच कर रही है।

कैसे हो रही है जांच:
मुरादनगर में जिस श्मशान के गलियारे का हिस्सा धराशायी हुआ है, उसकी जांच कर रहे टीम ने दो दिनों तक श्मशान घाट परिसर में निर्माण सामग्री की गुणवत्ता, गलियारे में पिलर्स की लंबाई-चौड़ाई, पिलर्स की संख्या, दूरी और उनकी मोटाई को लेकर गहन जांच की। जांच के दौरान टीम को जहां-जहां खामियां मिली उस जगह को सील कराया गया है। इसके अलवा जांच टीम इस श्मशाम के उन सभी हिस्सों की पड़ताल कर रही है, जिससे अभी भी खतरा है।

तीन मीटर दूरी पर होने चाहिए थे पिलर:
जांच के दौरान यह बात सामने आई है कि इस गलियारे के निर्माण में भारी अनियमितता बरती गई. नियमों के अनुसार सिविल स्ट्रक्चर में करीब ढाई से तीन मीटर की दूरी पर पिलर का निर्माण होना चाहिए. पिलर की मोटाई को लेकर भी खास दिशा-निर्देश दिए जाते है, लेकिन दिशा-निर्देश मिलने के बाद भी उसका पालन नहीं किया गया। इसके पिलर की मोटाई भी निर्धारित नियम के मुताबिक नहीं थे।

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