प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुरुवार को नई दिल्ली में रक्षा कार्यालय परिसर का उद्घाटन करते हुए सेंट्रल विस्टा परियोजना के आलोचकों पर निशाना साधा था। पीएम ने कहा कि जो लोग सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट पर हमला कर रहे थे वे आसानी से चुप रहेंगे क्योंकि रक्षा मंत्रालय के 7,000 कर्मचारी और सशस्त्र बल दो नए बहुमंजिला कार्यालय परिसरों में शिफ्ट हो गए हैं। रक्षा कार्यालय परिसर 20,000 करोड़ रुपये की सेंट्रल विस्टा परियोजना का हिस्सा हैं। बता दें कि ये प्रोजेक्ट 24 महीने में तैयार होना था लेकिन प्रोजेक्ट को 12 महीने में ही तैयार कर लिया गया। लेकिन आज भी कई प्रोजेक्ट ऐसे हैं जो लेटलतीफी के चक्कर में बड़ा नुकसान झेल रहे हैं।
559 प्रोजेक्ट अपने तय समय से पीछे
एक सरकारी रिपोर्ट की मानें तो 559 प्रोजेक्ट अपने तय समय से देर चल रहे हैं जबकि 967 ऐसे भी हैं जिनके पूरा होने की तारीख नहीं का कोई अता-पता नहीं नहीं है। इसी बात को ध्यान में रखते हुए पीएम ने देश में चल रहे इनफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट की रिपोर्ट मांगी। पीएम ने सरकारी विभागों को तय समय में पूरा नहीं हो पा रहे प्रोजेक्ट की सूची मांगी हैं।ज्यादातर प्रोजेक्ट पर्यावरण और जमीन अधिग्रहण में देरी से फंसते हैं कुछ अदालतों की फाइलों में फंसने से लटके हैं। इस प्रोजेक्ट को पूरा करने और देश को करोड़ों के नुकसान से बचाने के लिए पीएम मोदी रुके हुए प्रोजेक्ट को लेकर सहज हो चुके हैं।
सरकारी आंकड़ों ने खोली सरकार की पोल
Ministry of Statistics and Programme Implementation की रिपोर्ट में दावा किया गया है कि देश में 12 प्रोजेक्ट ऐसे हैं जो अपने तय समय सीमा से आगे चल रहे हैं। ये प्रोजेक्ट 150 करोड़ लागत से बन रहे हैं।559 प्रोजेक्ट अपने तय समय से देर चल रहे हैं जबकि 967 प्रोजेक्ट ऐसे हैं जिनके पूरा होने की तारीख नहीं पता। सरकारी आंकड़ों की मानें तो 480 इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट में देर होने की वजह से 4 लाख 46 हजार करोड़ का इजाफा हो चुका है जिसका बोझ सरकार को ढोना पड़ेगा।
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