झारखंड लोक सेवा आयोग की सातवीं से दसवीं सिविल सेवा प्रारंभिक परीक्षा में एक और विवाद खड़ा हो गया है। पहले परीक्षा पास करने वाले 57 अभ्यार्थियों को फेल कर दिया गया है। दलील दी गई है कि इनकी OMR शीट नहीं मिली है। अब सवाल ये भी है कि आखिर ऐसे अभ्यर्थी को पास कैसे घोषित किया गया था।

आयोग का कहना है कि परीक्षा के परिणाम जारी करने में देरी ना हो इसलिए ना भारतीयों में 49 अभ्यार्थियों को कट ऑफ मार्क्स के बराबर अंक देकर औपबंधिक रूप से उत्तीर्ण किया गया था। इसके पीछे यह तर्क दिया गया है कि आयोग को ओएमआर शीट नहीं मिलने के लिए अभ्यर्थी जिम्मेदार नहीं थे। बाकी आठ को अन्य कारणों से उत्तीर्ण घोषित नहीं किया गया है।

आयोग के अनुसार, इस बीच इस मामले की जांच भी कराई गई। अब जांच रिपोर्ट आने के बाद इन 49 अभ्यर्थियों को प्रारंभिक परीक्षा में फेल किया गया है।

बता दें कि रिजल्ट घोषित होने के बाद ही अभ्यर्थी आरोप लगा रहे थे कि भारी पैमाने पर परीक्षा में गड़बड़ी हुई है, लेकिन आयोग के अध्यक्ष अमिताभ चौधरी ने कहा था कि परीक्षा में कोई गड़बड़ी नहीं हुई है, मगर वह अब बैकफुट पर नजर आ रहे हैं।

JPSC की तरफ से बताया गया है कि इस बार की परीक्षा में पिछले साल से 4 गुना अधिक अभ्यर्थी शामिल हुए थे। परीक्षा के लिए 5,35, 521 उम्मीदवारों ने अपना रजिस्ट्रेशन कराया था। इनमें से तकरीबन 3,69, 327 उम्मीदवारों का एडमिट कार्ड जारी किया गया। 2, 49, 650 उम्मीदवार परीक्षा में शामिल हुए। जिनके लिए लगभग 5 लाख ओएमआर शीट मंगवाए गए थे।

आंदोलन को लीड कर रहे छात्रों के नेता देवेंद्र ने बताया कि JPSC का ये मानना की 57 वैसे छात्रों को पास किया गया था वो वाकई में फेल हैं, एक बड़ा मामला है। यह साबित करता है कि ये संयोग नही प्रयोग है। इसके पीछे बड़ी मछलियां हैं। पहले JPSC अध्यक्ष को इसकी लिए जिम्मेदार मानकर उन्‍हें बर्खास्त करना चाहिए।

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