जब इंसान अपने साथ हो रही नाइंसाफ़ी के कारण बहुत बुरी तरह टूट जाता है और आसपास उसे कोई इन्साफ दिलाने वाला नहीं दिखता है तो बदले की आग इंसान से कुछ भी करवा देती है। फिर इस बात से कोई फ़र्क़ नहीं पड़ता की इन्साफ पाने के लिए जो कदम उठाया गया है वो कदम गलत है या सही….कानून के दायरे में हैं या गैरकानूनी है। इस बात का जीता जागता उदाहरण देखने को मिला है बलिया जिले के दुर्जनपुर हत्याकांड केस में। दरसल,बलिया जिले के दुर्जनपुर हत्याकांड के मुख्य आरोपी धीरेंद्र प्रताप सिंह की तरफ से एफआईआर दर्ज न होने पर 7 महिलाओं ने आत्मदाह की धमकी दे डाली। बीते दिन गुरूवार को महिलाओं ने एक वीडियो जारी किया। जारी किये गए वीडियो में इन सात महिलाओं ने इस बात क एलान किया कि यदि एफआईआर दर्ज नहीं की गयी तो ये सभी सात औरतें आत्मदाह कर लेंगी।

घर के बाहर अधिकारियों और पुलिस का जमावड़ा

इस धमकी भरे वीडियो के जारी होने के बाद अचानक से प्रशासन की खलबली मच गयी। शायद प्रशासन को इस बात का अंदाज़ा नहीं रहा होगा कि इन्साफ पाने के लिए कोई इस हद तक जा सकता है। महिलाएं ऐसा कुछ कदम न उठा लें इसलिए एसडीएम सिकंदरपुर संगम लाल, सीओ बांसडीह दीपचंद व एसएचओ बैरिया संजय त्रिपाठी….आरोपी धीरेंद्र के घर पहुँच गए और उन्हें समझाने की कोशिश करने लगे। लाख समझाने के बावजूद भी महिलाएं अपने फैसले पर अडिग रहीं। अधिकारियों को प्रयास विफल होता हुआ नज़र आ रहा था। जिसके बाद अधिकारियों ने उन्हें हर हाल में शुक्रवार को एफआईआर की कॉपी देने का आश्वासन दिया।

अधिकारियों द्वारा एफआईआर की कॉपी मिलने का आश्वासन पाकर महिलाओं ने अपना आत्मदाह करने का फैसला शुक्रवार तक के लिए टाल दिया। अधिकारियों के लाख मनाने और उनकी तरफ से आश्वासन मिलने के बाद किसी तरह महिलाएं घर के अंदर गईं। इस मामले में तहसील बार एसोसिएशन की आपात बैठक हुई जो बैरिया तहसील बार के सभागार संघ के अध्यक्ष रमेश सिंह की अध्यक्षता में पूरी हुई। बैठक में अधिवक्ताओं ने दुर्जनपुर कांड की कड़ी आलोचना की और साथ ही घायल परिजनों के प्रति अपनी सहानुभूति भी प्रकट की।

दरसल, सारा मामला ये था कि बलिया जिले के रेवती थाना क्षेत्र के दुर्जनपुर गांव के पंचायत भवन में बीते गुरुवार को टेंट लगाकर हनुमानगंज और दुर्जनपुर की कोटे की दुकानों के चयन को लेकर खुली बैठक हो रही थी। इसी दौरान आधार कार्ड से मतदान को लेकर दोनो पक्षों में कहासुनी हो गयी। विवाद इतना बढ़ गया कि दोनो पक्ष के लोग एक-दूसरे पर हमलावर हो गए। प्रशासन के विरोध में नारेबाजी हुई। देखते ही देखते ईंट-पत्थर चलने लगे। इसी दौरान चली गोली में एक व्यक्ति की मौत हो गई। वहीं थानाध्यक्ष प्रवीण कुमार सिंह के अनुसार केस के मुख्या आरोपी धीरेंद्र ने अपने बचाव में ये बयान दिया है कि उसने खुद की रक्षा करने के लिए गोली चलाई थी।

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