दुशमन पड़ोसी देशों की लगातार बढ़ती हलचल को देखते हुए भारत सीमा तक पहुंचने की दिशा में लगातार कई बड़े कदम उठा रहा है। दोनों देशों की तरफ से अचानक पैदा की गई चुनौतियों से निपटने के लिए सैन्य दलों को तेजी से बॉर्डर तक पहुंचाने के मकसद से भारत ऐसी सड़क का निर्माण कर रहा है जिस पर दुश्मनों की नजर नहीं पड़ सकती है। मतलब गुप्त सड़क का निर्माण किया जा रहा है। हालांकि, इस सड़क की योजना करीब दो दशक पहले ही तैयार की गई थी। यह NPD सड़क की योजना पर 2002 में काम शुरू हुआ था। 2004 में इसे मंजूरी मिली थी। शुरुआत में 251 करोड़ के बजट का अनुमान था और इसे 2012 तक पूरा होना था। जुलाई 2019 में इस प्रोजेक्ट की कुल लागत का अनुमान 2276.13 करोड़ था। 297 किमी में से 256 किमी का जुड़ाव पूरा हो गया है। अब बचे निर्माण कार्य में भारत तेजी ला रहा है यह सड़क मनाली से लेह तक जाएगी और भारत के अन्य हिस्सों से लद्दाख की सीमा तक पहुंचने का तीसरा रास्ता मुहैया कराएगी जानकारी के मुताबिक रोड का निर्माण 2025 तक पूरा हो सकता है। इस सड़क के बनने से भारत और चीन के बीच बढ़े तनाव और सैन्य मोर्चे पर मची हलचल के बीच यह एक बड़ा फैसला माना जा रहा है।इतना ही नहीं इस सड़क के अलावा भी भारत दौलत बेग ओल्डी समेत नार्थ और दूसरे इलाकों को जोड़ने की ऑप्शनल व्यवस्था में पिछले तीन साल से जुटा हुआ है।

समय की बचत…गुप्त रास्ता

जानकारी के मुताबिक, मनाली से लेह तक निमू-पदम-दरचा के जरिए वैकल्पिक रास्ते से जोड़ने के लिए एजेंसियां काम कर रही है। इससे श्रीनगर से ज़ोजिला पास से गुजरने वाले मौजूदा मार्गों और मनाली से लेह तक सरचू के माध्यम से अन्य मार्गों की तुलना में बहुत समय बचाने में मदद करेगा। इस सड़क द्वारा मनाली से लेह की यात्रा में तीन से चार घंटे की बचत होगी। इसके साथ ही इसका महत्व इस वात से समझा जा सकता है कि, स पर सेना और युद्धक सामग्रियों के मूवमेंट को न चीन और न ही पाकिस्तान ट्रैक कर पाएगा। इस खासियत का कितना रणनीतिक महत्व है, इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि 1999 के करगिल युद्ध के वक्त सेना और साजो-सामान पहुंचाने वाले वाहनों को चोटी पर बैठे पाकिस्तानी सैनिक सीधे निशाना बना रहे थे। दरअसल, उस वक्त भारतीय सेना जोजिला दर्रे से द्रास-करगिल होते हुए लेह तक जाने वाली सड़क का इस्तेमाल कर रही थी। यह सड़क पहाड़ियों के किनारे-किनारे बनी है। इस कारण चोटियों पर कब्जा जमाए पाकिस्तानी सैनिकों ने भारतीय वाहनों पर जबर्दस्त बॉम्बार्डिंग कर रही थी और सबसे बड़ी बात जो अब हम आपको बताते हैं, इस सड़क पर साल भर यात्रा करना संभव होगा। फिलहाल मनाली से लद्दाख जाने वाली सड़क सर्दियों के मौसम में बर्फ की वजह से बंद हो जाती है। मनाली-लेह के अलावा दूसरा रास्ता श्रीनगर से लद्दाख जाने का है। लेकिन यह सड़क भी सर्दियों में बर्फ पड़ने पर बाधित हो जाती है।

चीन-पाक को भनक नहीं…बॉर्डर पहुंचेंगे हथियर

नई सड़क की खासियत यह होगी कि यहां से टैंक, आर्टिलरी गन जैसे बड़े-बड़े और भारी हथियार लद्दाख सीमा तक बिल्कुल गुप्त तरीके से पहुंच जाएंगे। मनाली-लेह सड़क का महत्व इस बात से समझा जा सकता है कि इस पर सेना और युद्धक सामग्रियों के मूवमेंट को न चीन और न ही पाकिस्तान ट्रैक कर पाएगा। सूत्रों ने बताया कि यह सड़क लेह में निमू के पास मनाली को जोड़ देगा जहां चीन के साथ झड़प के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी हाल ही में गए थे और अब तो दुनिया की सबसे ऊंची सड़क खार्दुंग ला पास पर भी काम शुरू हो चुका है।

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