देश में तीनों कृषि कानूनों को लागू हुए एक साल हो चुका है। आज देश के कई शहरों में नाराज किसानों का प्रदर्शन देखने को मिला। यूपी के बांदा, बुलंदशहर समेत कई शहरों में किसानों ने कृषि कानूनों की प्रतियां फाड़ी । कृषि कानूनों के खिलाफ दिल्ली बॉर्डर पर जारी प्रदर्शनों को भी 6 महीने से ज्यादा हो चुके हैं। सरकार और किसान संगठन दोनों ही टस से मस होने को तैयार नहीं है। 5 जून को देश में कृषि कानून लागू हुए थे, ऐसे में देश के कई हिस्सों में किसान कृषि कानूनों की प्रतियां फाड़कर अपना विरोध जता रहे हैं। पंजाब के अमृतसर में भी किसानों ने जोरदार प्रदर्शन किया। नाराज किसानों ने मोदी सरकार से तीनों कृषि कानूनों को वापस लेने की मांग की।

शहर-शहर किसानों का आक्रोश

यूपी में शहर, शहर किसानों का प्रदर्शन देखने को मिला। बांदा में भी नाराज किसान संगठनों से जुड़े लोगों ने कृषि कानून की प्रतियों को फाड़ा और सरकार के खिलाफ जमकर नारेबाजी की, इस दौरान कई लोगों के चेहरे से मास्क गायब दिखा । वहीं बुलंदशहर में भी किसानों ने कृषि कानून की प्रतियां फाड़कर अपना विरोध जताया। नाराज किसानों ने सरकार के खिलाफ नारेबाजी की और सरकार से तीनों कृषि कानूनों को वापस लेने की मांग की। कृषि कानूनों को लेकर पश्चिमी यूपी में जोरदार प्रदर्शन देखने को मिला है। राजनीतिक दलों ने इसे खूब भुनाया भी है। अखिलेश यादव से लेकर प्रियंका गांधी तक ने किसान पंचायत की, वहीं पीएम मोदी से लेकर सीएम योगी तक कह चुके हैं कि तीनों कृषि कानून किसानों के हितैषी हैं और विपक्ष किसानों को गुमराह कर रहा है।

किसानों का बवाल, पुलिस की लाठी

पंचकूला में किसानों ने कृषि कानूनों को वापस लेने के लिए माजरी चौक, पिंजौर टोल प्लाजा और नग्गल टोल प्लाजा बरवाला, रायपुररानी सहित कई जगह प्रदर्शन किया। किसान अपनी मांग को लेकर प्रदर्शन करते हुए माजरी चौक पर आ गए। किसानों को हटने के लिए कहा गया लेकिन किसानों ने अनसुनी करते हुए बैरिकेट हटाने का प्रयास किया। इस पर पुलिस की ओर से लाठी चार्ज  कर दी गई है। भारतीय किसान यूनियन के पिंजौर ब्लॉक प्रधान गुरजंट सिंह की अगुवाई में टोल प्लाजा चंडीमंदिर से किसान पंचकूला की ओर रवाना हुए। वह माजरी चौक पर आ गए। उन्होंने बताया कि सरकार उनकी कोई सुनवाई नहीं कर रही है।  कृषि कानून किसानों के हित में नहीं है। इस दौरान किसानों ने कृषि कानून की प्रतियों को जलाया। इस मौके पर भारी पुलिस बल तैनात रहा।

कब खत्म होगा किसान आंदोलन ?

कृषि कानूनों पर जहां किसान संगठन डटे हुए हैं वहीं सरकार भी अड़ी हुई है। सरकार और किसान संगठनों के बीच कई दौर की वार्ता बेनतीजा रही है और दोबारा बातचीत का दौर शुरू नहीं हुआ है। वहीं गाजीपुर बॉर्डर पर डटे राकेश टिकैत पहले ही दावा कर चुके हैं कि जब तक कानून वापस नहीं होंगे, तब तक किसान भी वापस नहीं होंगे। अब देखना होगा किसान आंदोलन के खत्म होने का रास्ता कब और कैसे निकलता है।

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