संभाजी भिडे उर्फ गुरूजी महाराष्ट्र के जाने-माने लोकप्रिय नेता हैं।माथे पर लंबा टीका, मराठी टोपी, सफेद कुर्ता-धोती और तीखा भाषण ये ही इनकी पहचान है। उन्हें वर्तमान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और महाराष्ट्र के कई अन्य नेता बहुत पसंद करते हैं। संभाजी भिडे का ऑर्डर पीएम से लेकर महाराष्ट्र के सीएम तक मानते हैं। 2014 के लोकसभा चुनाव के दौरान पीएम नरेन्द्र मोदी ने सांगली में एक चुनाव रैली कर रहे थे। उन्होने मोदी जी की सुरक्षा घेरा तोड़ते हुए उनसे मुलाकात की थी। रैली में पीएम मोदी ने कहा भी था कि वे संभाजी भिडे गुरूजी के बुलावे पर नहीं बल्कि उनका आदेश मानकर वहां आए हैं। ऐसे ही एक बार महाराष्ट्र के सीएम देवेंद्र फड़णवीस ने भी संभाजी भिडे गुरूजी से मिलने के लिए फ्लाइट को रूकवा दिया था। संभाजी भिडे संत विनोवा भावे, महात्मा गांधी, जय प्रकाशनारायण, नरेन्द्रदेव लोहिया तथा अन्ना हजारे की तरह वे एक सर्वोदयी जननेता हैं। हिंदुत्व के लिये संभाजी भिडे का योगदान बहुत बड़ा है। वह मराठा सम्राट छत्रपति शिवाजी के कट्टर अनुयायी हैं और महाराष्ट्र की वर्तमान युवा जनसंख्या उन्हें अपना आदर्श मानती है और भिडे के एक इशारा पर 10 लाख युवा एक जगह जमा हो सकते हैं। आपने प्रचारक के तौर पर राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ में भी अपनी सेवायें दी हैं। 1980 में आपने स्वेच्छा से संघ से मुक्त होकर शिव प्रतिष्ठान नामक एक स्वयंसेवक संगठन का निर्माण किया। 

हिंदुत्व को आगे बढ़ाने में बड़ा योगदान

संभाजी भिडे की उम्र 85 वर्ष है और उनका असली नाम मनोहर है। उनका पैतृक गांव सतारा जिले का सबनिसवाड़ी है। सांगली में एक जमाने में आरएसएस के बड़े कार्यकर्ता बाबाराव भिडे थे। संभाजी उनके भतीजे हैं । वह 1980 के दशक में खुद आरएसएस में थे। संभाजी भिडे ने वहां आरएसएस का संगठन स्तर पर काम शुरू किया था लेकिन कुछ विवाद की वजह से उनका तबादला कर दिया गया। उन्होंने वह तबादला स्वीकार नहीं किया और सांगली में एक समानांतर आरएसएस का गठन किया। विजयदशमी पर होने वाली आरएसएस की रैली के जवाब में संभाजी ने दुर्गा माता दौड़ शुरू की थी। बाद में जब रामजन्मभूमि आंदोलन शुरू हुआ तब इनके संगठन को ज्यादा समर्थन मिलना शुरू हुआ। हिंदुत्ववादी शक्तियां जिस तरह से छत्रपति शिवाजी और छत्रपति संभाजी का इतिहास पेश करती हैं उसी तरीके से भिडे भी पेश करते हैं।

साधारण जीवन…साइकिल से सफर

संभाजी भिडे सरल और साधारण तरीके से जीवन बिताते हैं। वह सफेद रंग का धोती-कुर्ता पहनते हैं और चप्पल नहीं पहनते हैं। लोगों में इतनी लोकप्रियता होने के बाद भी उन्होंने कभी कार में सफर नहीं किया और ना ही कभी आराम करने के लिए किसी जगह पर रुके। वह हमेशा घूम-घूमकर अपने अनुयायियों से मिलकर मुद्दों पर बातचीत करते रहते हैं। अधिकतर संभाजी भिडे साइकिल से ही सफर करते हैं, यहां तक उनका खुद का घर भी नहीं है। जनता में लोकप्रिय होने के बाद भी संभाजी राजनीति से अलग हैं। कई बार उन्हें राजनीतिक पार्टियों की ओर से ऑफर आए लेकिन वे हिन्दुत्व लीडर रहना ही सही समझा।

अटॉमिक साइंस में मास्टर्स

देखने में एकदम साधारण से दिखने वाले संभाजी भिडे ने प्रतिष्ठित पुणे विश्वविद्यालय से अटॉमिक साइंस में एमएससी गोल्ड मेडल के साथ की है। वह पुणे के फर्ग्युसन कॉलेज में फिजिक्स के प्रोफेसर भी रह चुके हैं। आपके कार्य के लिये 100 से भी ज्यादा राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय पुरुस्कारों पुरुस्कृत किया जा चुका है। आपने 67 डॉक्टोरल एवं पोस्ट डॉक्टोरल रिसर्च कार्य किये हैं। संभाजी भिडे NASA और पेंटागन में सद्स्य रह चुके हैं, आज तक इतना बड़ा सम्मान किसी भारतीय को नहीं मिला है। अब संभाजी भिडे ने महाराष्ट्र में 10 लाख विद्यार्थियों को मार्गदर्शन कर समाज सेवा का संकल्प लिया है ।

संभाजी भिडे पर दंगों का आरोप

साल 2018 जब पहली बार महाराष्ट्र के भीमा-कोरेगांव को भारत ने जाना। दिन था नए साल के जश्न का, पूरा देश जश्न में ढूबा हुआ था लेकिन महाराष्ट्र का कोरेगांव में भयंकर हिंसा फैल गई। महाराष्ट्र में फैली हिंसा के आरोप में शिव प्रतिष्ठान हिंदुस्तान के जानेमाने नेता संभाजी भिडे और समस्त हिंदू आघाडी के मिलिंद एकबोटे के खिलाफ मामला दर्ज किया गया। भिड़े पर भीमा-कोरेगांव की लड़ाई की 200वीं वर्षगांठ के दौरान हिंसा फैलाने का आरोप लगा। बहुजन रिपब्लिकन पार्टी की अनिता रविंद्र साल्वे ने इन दोनों के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई। साल्वे का दावा था कि एकबोटे और भिडे दोनों ने प्रदर्शनकारियों के झंडे फाड़े और पत्थरबाज़ी की, जिसके बाद हिंसा भड़की। लेकिन अगर संभाजी भिडे की जिदंगी को समझे तो इन्होंने मां भारती की सेवा में अपना पूरा जीवन समर्पित किया है। ये सिर्फ खादी पहनते हैं और बिना चप्पल के यात्रा करते हैं चाहे कितनी दूरी की क्यों न हो। ये मानव नहीं महामानव है।

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