देश में कोरोना के बाद काली महामारी का प्रकोप बढ़ रहा है लेकिन किसान संगठनों का आंदोलन अभी भी जारी है। यही नहीं अब इस आंदोलन को नई धार देने की तैयारी भी शुरू हो गई है। 26 मई को क्या करेंगे किसान संगठन और कैसे हैं गाजीपुर बॉर्डर पर हालात आपको विस्तार से बताते हैं। तीन कृषि कानूनों के विरोध में शुरू हुआ किसान संगठनों का आंदोलन कोरोना काल में जारी रहा। अब देश पर काली महामारी का साया है लेकिन किसान संगठनों ने शायद आंदोलन को नाक की लड़ाई समझ लिया है, इसलिए राकेश टिकैत जैसे किसान नेताओं ने साफ कर दिया है कि तीनों कृषि कानून वापस होने और एमएसपी पर कानून बनने के बाद ही आंदोलन खत्म होगा। अब किसान संगठनों ने 26 मई के लिए तैयारी शुरू कर दी है। 26 मई को किसान आंदोलन के 6 महीने पूरे होंगे, जबकि नरेंद्र मोदी को प्रधानमंत्री बने 7 साल। 26 मई को किसान संगठन काला दिवस के रुप में मनाएंगे। इस दिन किसान संगठनों ने जोरदार विरोध प्रदर्शन दर्ज कराने का मास्टर प्लान बनाया है।

26 मई को क्या करेंगे किसान संगठन ?

26 मई को सभी किसान अपने घर पर काले झंडे लगाएंगे। गांव में सभी किसान सरकार का पुतला दहन करेंगे साथ ही सभी किसान गांव के मुख्य चौराहों पर शांतिपूर्ण धरना प्रदर्शन करेंगे। किसान संगठन अपनी लड़ाई को जीतकर ही वापस जाना चाहते हैं। वहीं विपक्ष भी खुद को किसानों के साथ खड़ा दिखाने की पूरी कोशिश कर रहा है। अब किसान संगठनों के काला दिवस को विपक्ष का समर्थन मिल है। 12 मुख्य विपक्षी दलों ने 26 मई को किसान संगठन की ओर से बुलाए गए प्रोटेस्ट कार्यक्रम का सपोर्ट किया है। सपोर्ट करने वालों में सोनिया गांधी, ममता बनर्जी, उद्भव ठाकरे, हेमंत सोरेन, स्टालिन, अखिलेश यादव, तेजस्वी यादव, देवेगौड़ा शामिल हैं। अगर गाजीपुर बॉर्डर की बात करें तो यहां सन्नाटा पसरा हुआ है। मंच से लेकर जहां तक नजर दौड़ाएंगे, गिनती के ही किसान बचे हैं।

टिकैत के लिए नाक का सवाल बना आंदोलन ?

जितने भी किसान बॉर्डर पर मौजूद हैं ना ही मास्क लगाए हैं और ना ही गमझे से अपने फेस को कवर किए हुए हैं। किसानों की ये लापरवाही उनकी जिंदगी पर संकट ला सकती है। वैसे इनके सरदार यानि भाकियू के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत भी मास्क से दूरी बनाना ही पसंद करते हैं। शायद सरकार के साथ साथ मास्क का भी विरोध कर रहे हैं। ये तस्वीर राकेश टिकैत ने खुद ट्वीट की है, जिसमे मास्क है जरूरी के मंत्र को साहब भूल चुके हैं। राकेश टिकैत ने ट्वीट में खुद लिखा है कि उन्होंने शहीदे-ए-आजम  भगत सिंह के भतीजे अभय सिंह संधू की अंतिम अरदास मोहाली में शामिल होकर शोकाकुल परिवार को सांत्वना दी। सवाल यही है कि राकेश टिकैत सरकार की गाइडलाइन का पालन क्यों नहीं करते। अगर उनकी जिद ने किसानों की जिंदगी ली, तो जिम्मेदार कौन होगा। सवाल सरकार पर भी, कि आखिर किसान आंदोलन को खत्म करने में अब तक सफल क्यों नहीं हुई।

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