राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत (Ashok Gehlot) ने रविवार को हरिद्वार में हुई एक धर्म संसद में संतों द्वारा कथित रूप से हिंसा की बात करने को लेकर प्रधानमंत्री और अन्य नेताओं पर निशाना साधते हुए कहा कि महात्मा गांधी के देश में उनकी हिंसा वाली भाषा को बर्दाश्त नहीं किया जा सकता है।

हरिद्वार में धर्म संसद में कथित नफरत भरे भाषणों को लेकर अशोक गहलोत ने प्रधानमंत्री और अन्य नेताओं की ‘चुप्पी’ पर जमकर निशाना साधा। गहलोत ने रविवार को कहा कि महात्मा गाँधी की भूमि पर इस तरह की हरकतों को बर्दाश्त नहीं किया जा सकता। उन्होंने कहा कि वक्ताओं द्वारा कथित रूप से इस्तेमाल की जाने वाली ‘हिंसा की भाषा’ भारतीय संस्कृति के खिलाफ है और अस्वीकार्य है।

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गहलोत का कहना है कि आश्चर्यजनक है कि प्रधानमंत्री, गृह मंत्री और उत्तराखंड के मुख्यमंत्री इस मुद्दे पर चुप हैं और सरकार ने उनके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की। गहलोत ने कहा कि यह आश्यर्चजनक है कि नफरत फैलाने वाले भाषण देने वालों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की गई और प्रधानमंत्री, गृहमंत्री और उत्तराखंड के मुख्यमंत्री भी चुप हैं।

अशोक गहलोत (Ashok Gehlot) ने कोरोना के मामलों की बढ़ती संख्या पर भी चिंता व्यक्त की और कहा कि केंद्र ने आखिरकार उनकी सरकार के दबाव के बाद बूस्टर खुराक की घोषणा की। मैं उन्हें (केंद्र) डेढ़ से दो महीने से कह रहा था कि उन्हें 60 साल से ऊपर के लोगों और बीमार लोगों को बूस्टर खुराक देनी चाहिए। बूस्टर डोज कई देशों में दी जा रही है। अब प्रधान मंत्री ने इसकी घोषणा की और हमें खुशी है कि उन्होंने कम से कम हमारी बात मान ली।

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अंजलि शर्मा पिछले 2 साल से पत्रकारिता के क्षेत्र में काम कर रही हैं। अंजलि ने महर्षि दयानंद यूनिवर्सिटी से अपनी पत्रकारिता की पढ़ाई की है। फिलहाल अंजलि DNP India Hindi वेबसाइट में कंटेंट राइटर के तौर पर काम कर रही हैं।

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