नौकरियों पर कोरोना का असर : सीएमआईई

कोविड-19 की दूसरी लहर का वैसे तो संगठित क्षेत्र पर कम असर दिखा, लेकिन इसे उबरने में ज्यादा समय लग रहा है.CMIE ने अपनी रिपोर्ट में दावा किया है कि संगठित क्षेत्र अभी रोजगार के पर्याप्त मौके नहीं बना रहा, जिससे जुलाई में 32 लाख वेतनभोगियों को अपनी नौकरियां गंवानी पड़ीं. इस तरह, करीब 32 लाख लोगों को नौकरी से हाथ धोना पड़ा। आंकड़ों से पता चला है कि जुलाई 2021 में 7.64 करोड़ लोगों ने वेतनभोगी नौकरी की थी, जबकि जुलाई 2019 में 8.6 करोड़ वेतनभोगी कर्मचारी थे।

शहरी बेरोजगारी दर
• शहरी बेरोजगारी दर जून में 10.07 प्रतिशत से घटकर जुलाई में 8.3 प्रतिशत होने के बावजूद, नौकरी गंवाने वाले वेतनभोगी लोगों में 26 लाख शहरी ही थे।
• जून में शहरी क्षेत्र में कुल वेतनभोगी की संख्या 4.87 करोड़ थी। जो अब घटकर 4.61 करोड़ पर आ गई है।
• आंकड़ों में कहा गया है कि अप्रैल में शहरी बेरोजगारी दर 9.78 प्रतिशत और मई में 14.73 प्रतिशत थी।

ग्रामीण बेरोजगारी दर
• ग्रामीण बेरोजगारी दर जून में 8.75 प्रतिशत से गिरकर जुलाई में 6.34 प्रतिशत हो गई।
• मार्च, अप्रैल और मई के लिए ग्रामीण बेरोजगारी दर क्रमशः 6.15 प्रतिशत, 7.13 प्रतिशत और 10.63 प्रतिशत थी।

छोटे दुकानदारों व दिहाड़ी मजदूर 24 लाख बढ़े
• छोटे व्यापारियों और दिहाड़ी मजदूरों की संख्या जुलाई में बढ़कर 3.04 करोड़ से अधिक हो गई, जो जून के आंकड़े से 24 लाख अधिक है।
• साथ ही, जुलाई में 30 लाख किसानों को जोड़ा गया आर्थिक सुधार के अन्य संकेतों में शामिल हैं – डीजल और कारों की बिक्री में वृद्धि।
• साथ ही, वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) संग्रह जुलाई में 1 लाख करोड़ रुपये से अधिक हो गया, जबकि जून में यह 92,849 करोड़ रुपये था।
• इससे पहले, अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष ने 2021-22 में भारत की जीडीपी 9.5 प्रतिशत की दर से बढ़ने का अनुमान लगाया था।

जुलाई-सितंबर 2020 में बेरोजगारी दर बढ़कर 13.3% हुई: NSO सर्वेक्षण
कोरोना के चलते बेरोजगारी में तेजी से बढ़ोतरी हुई. सरकारी आंकड़ों के मुताबिक जुलाई से सितंबर 2020 में शहरों में बेरोजगारी दर बढ़कर 13.3 फीसदी हो गई जबकि एक साल पहले की समान अवधि में यह 8.4 फीसदी पर थी. मिनिस्ट्री ऑफ स्टैटिस्टिक्स एंड प्रोग्राम इंप्लीमेंटेशन (MoSPI) द्वारा सोमवार [August 3, 2021] को जारी तिमाही पीरियाडिक लेबर फोर्स सर्वे (PLFS) से यह खुलासा हुआ है. हालांकि इससे पूर्व की तिमाही अप्रैल-जून 2020 तिमाही में यह इससे भी अधिक 20.9 फीसदी पर था. सरकार द्वारा जारी आंकड़ों के मुताबिक जनवरी-मार्च 2020 में बेरोजगारी दर 9.1 फीसदी, अक्टूबर-दिसंबर 2019 में 7.9 फीसदी, जुलाई-सितंबर 2019 में 8.4 फीसदी और अप्रैल-जून 2019 में 8.9 फीसदी था.


युवाओं में सबसे अधिक रहे बेरोजगारी दर
• केंद्रीय मंत्रालय द्वारा सोमवार को जारी आंकड़ों के मुताबिक जुलाई-सितंबर 2020 में शहरों में सबसे अधिक बेरोजगार 15-29 साल के युवा रहे. जुलाई-सितंबर 2020 में 15-29 वर्ष के लोगों की शहरी बेरोजगारी दर 27.7 फीसदी रही जोकि जुलाई-सितंबर 2019 में 20.6 फीसदी और अप्रैल-जून 2020 में 34.7 फीसदी पर थी.
• जुलाई-सितंबर 2020 में महिलाओं की बेरोजगारी दर 15.8 फीसदी रही जोकि एक साल पहले की समान अवधि की तुलना में 9.7 फीसदी अधिक है. हालांकि अप्रैल-जून 2020 में यह 21.2 फीसदी पर था.

• शहरी पुरुषों के लिए बेरोजगारी दर की बात करें तो जुलाई-सितंबर 2020 में यह 12.6 फीसदी पर थी जोकि जुलाई-सितंबर 2019 में 8 फीसदी और अप्रैल-जून 2020 में 20.8 फीसदी पर थी.
• सर्वे के मुताबिक जुलाई-सितंबर 2020 में Labour Force Participation Rate 31 फीसदी रही जबकि एक साल पहले की समान अवधि में यह 36.8 फीसदी पर था. अप्रैल-जून 2020 में यह 35.9 फीसदी पर था.
• Workforce Participation Rate जुलाई-सितंबर 2020 में 32.1 फीसदी पर रहा जोकि जुलाई-सितंबर 2019 में 33.7 फीसदी पर था. अप्रैल-जून 2020 में यह 28.4 फीसदी पर रहा.

श्रमबल सर्वेक्षण (पीएलएफएस) की रिपोर्ट में खुलासा, देश में सबसे ज्यादा ग्रेजुएटों के पास नहीं है नौकरी
देश में कुल बेरोजगारों में बड़े पैमाने पर पढ़े लिखे लोगों की संख्या है और इसमें ग्रेजुएट सबसे ऊपर हैं। सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय के आवधिक श्रमबल सर्वेक्षण (पीएलएफएस) की रिपोर्ट में यह खुलासा हुआ है। ये सर्वे जुलाई 2019 से लेकर जून 2020 के बीच कराया गया।
• आंकड़ों में सभी राज्यों की कुल बेरोजगारी दर 4.8 फीसदी रही है।
• इसमें सबसे बड़ा हिस्सा स्नातकों की बेरोजगारी का 17.2 फीसदी रहा है।
• इसके बाद 14.2 फीसदी डिप्लोमा या फिर सर्टिफिकेट कोर्स करने वाले रहे हैं। वहीं पोस्ट ग्रेजुएट या उससे ज्यादा पढ़ाई करने वाले 12.9 फीसदी बेरोजगारों की जानकारी दी गई है।

कोविड-19 की दूसरी लहर में किस उम्र के लोगों की गई सबसे ज्यादा नौकरी… financial technology company FIS द्वारा किए गए सर्वे में खुलासा….कोविड-19 की दूसरी लहर के दौरान नौकरी गंवाने वालों में सबसे नई उम्र के और सबसे पुराने कर्मचारी अधिक रहे. यह बात फार्च्यून 500 (Fortune 500) सूची की कंपनियों के बीच कराए गए एक सर्वेक्षण से सामने आई है. भारत में अप्रैल 2021 के दौरान दो हजार लोगों के बीच यह सर्वे कराया गया

सर्वे के अनुसार
• कोरोना की दूसरी लहर में 55 वर्ष से अधिक आयु वाले छह प्रतिशत कर्मचारियों की नौकरी स्थायी रूप से चली गई. पिछले वर्ष यह आंकड़ा चार प्रतिशत था.
• वहीं 24 वर्ष से कम आयु सीमा वर्ग में 11 प्रतिशत कर्मचारियों की नौकरी स्थायी रूप से छूट गई. यह आंकड़ा पिछले वर्ष दस प्रतिशत था

12 महीने के दौरान धोखाधड़ी
• कंपनी ने कहा कि इसके अलावा 18 से 14 आयु वर्ग के 38 प्रतिशत युवाओं ने कहा कि उन्होंने 12 महीने के दौरान धोखाधड़ी होते देखा.
• 25 से 29 आयु वर्ग की श्रेणी में 41 प्रतिशत कर्मचारियों ने धोखाधड़ी देखने की बात की.

कोरोना के कारण 97% लोगों की कमाई घटी
• कोरोना की दूसरी लहर की वजह से भारत में एक करोड़ से ज्यादा भारतीयों की नौकरी चली गई।, वहीं 97% से ज्यादा परिवारों की कमाई घट गई है।
प्राइवेट थिंक टैंक सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकोनॉमी (CMIE) ने अप्रैल में 1.75 लाख परिवारों पर एक देशव्यापी सर्वे किया था। इस सर्वें में पिछले एक साल में कमाई का परेशान करने वाला ट्रेंड सामने आया था। सर्वे में केवल 3% परिवारों ने अपनी आय बढ़ने की बात कही थी, जबकि 55% ने कहा था कि उनकी इनकम गिरी है। बाकी 42% ने कहा था कि उनकी इनकम में कोई बदलाव नहीं आया है। इसे अगर महंगाई के लिहाज से आंका जाए तो 97% परिवारों की कमाई घट गई है।

अस्थायी तौर पर कितनों ने गवांई नौकरी
• सर्वेक्षण के अनुसार सभी आयु श्रेणी में पिछले वर्ष के मुकाबले इस वर्ष अधिक लोगों की नौकरी गई हैं।
• इस दौरान 18 से 24 आयु वर्ग के नौ प्रतिशत कर्मचारियों को अस्थायी रूप से काम से हटाया गया. पिछले वर्ष इसी आयु वर्ग के 21 प्रतिशत कर्मचारियों की अस्थायी रूप से छुट्टी की गई थी.
• 55 से अधिक आयु वर्ग में इस वर्ष सात प्रतिशत कर्मचारियों को अस्थायी छंटनी का सामना करना पड़ा, पिछले साल यह आंकड़ा 13 प्रतिशत था.

बेंगलुरु की अजीम प्रेमजी यूनिवर्सिटी की रिपोर्ट में कहा गया है कि मार्च 2020 से भारत में लगाए गए सख्त लॉकडाउन ने करीब 10 करोड़ लोगों से रोजगार छीन (Unemployment) लिया. इनमें 15 फीसदी को साल खत्म होने तक काम नहीं मिला. महिलाओं पर इसका बहुत बुरा असर पड़ा. करीब 47 फीसदी महिलाएं पाबंदियां के खत्म होने के बाद भी रोजगार हासिल नहीं कर पाईं.

केंद्र सरकार के विभागों में 8.72 लाख से अधिक पद खाली : मंत्री
कार्मिक राज्य मंत्री जितेंद्र सिंह ने गुरुवार को राज्यसभा के एक प्रश्न के जवाब में कहा कि 1 मार्च, 2020 तक केंद्र सरकार के विभिन्न विभागों में लगभग 8.72 लाख रिक्त पद थे,उन्होंने राज्यसभा में एक लिखित उत्तर में कहा कि केंद्र सरकार के सभी विभागों की स्वीकृत संख्या 40,04,941 (1 मार्च, 2020 तक) थी, जिसमें से 31,32,698 कर्मचारी कार्यरत थे। “1 मार्च, 2020 तक रिक्त पदों की कुल संख्या 8,72,243 थी।

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