दिल्ली NCR में एक बार फिर प्रदूषण का खतरा मंडरा रहा है। वैसे ये कोई नई बात नहीं हर साल की तरह इस साल भी पंजाब में पराली जलाने के कारण प्रदूषण का स्तर  बढ़ रहा है। एक तरफ तो पूरा देश कोरोना को हराने में लगा हुआ है। तो वहीं दूसरी तरफ प्रदूषण भी बड़ी चुनौती बन रहा है। जहां एक तरफ पूरा देश कोरोना को हराने के जद्दोजहद में लगा हुआ है। तो वहीं दूसरी ओर हर साल की तरह की तरह इस साल भी प्रदूषण लोगों के सामने बड़ी चुनौती बन रहा है। इन सब के बीच एक अच्छी आदत जो लोगों की बनी है वो है लोगों का मास्क पहनना। आपको बता दें की दिल्ली NCR में हर साल सर्दियों के मौसम में वायु प्रदूषण चरम पर पहुंच जाता है। जिससे यहां के लोगों में स्वास्थ्य के लिहाज में खतरा पैदा होता है।

दिवाली से पहले प्रदूषण का प्रकोप !

प्रदूषण नियंत्रक बोर्ड के अनुसार 36 प्रदूषण निगरानी स्टेशनों में से 19 स्टेशनों में वायु गुणवत्ता सूचकांक बहुत खराब श्रेणी में दर्ज हुआ है। वहीं अगर बात करते है दिल्ली के पड़ोसी क्षेत्रों, गाजियाबाद, फरीदाबाद, नोएडा और ग्रेटर नोएडा में भी हवा की गुणवत्ता बहुत खराब दर्ज की गई है। तो वहीं ग्रेटर नोएडा की हवा इन सभी में से सबसे अधिक प्रदूषित है। क्योंकि यहां पर औद्योगिक क्षेत्र है। जिससे प्रदूषण का खतरा और भी बढ़ जाता है। बता दें कि भारत मौसम विज्ञान विभाग के अनुसार, प्रदूषकों में वृद्धि, हवा की कम गति का यह परिणाम है। इसके अलावा पड़ोसी राज्यों पंजाब और हरियाणा में पराली के कारण प्रदूषण और भी बढ़ रहा है।

मनीष सिसोदिया का केंद्र पर वार

इसी बीच दिल्ली के डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया ने केंद्र पर वार करते हुए कहा है। पराली जलाने की समस्या केवल दिल्ली की ही नहीं है। बल्कि पूरे उत्तर भारत की है। दुर्भाग्यवश केंद्र सरकार ने इससे निपटने के लिए कुछ नहीं किया। वह पूरा साल हाथ पर हाथ धरे बैठी रही और आज पूरा उत्तर भारत इसे भुगत रहा है।  आपको बता दें कि हवा की गुणवत्ता को 0 से 500 के स्केल पर नापा जाता है और 0 से 50 के बीच हवा की गुणवत्ता को अच्छा माना जाता है जबकि 300 के ऊपर यह बेहद खतरनाक माना जाता है। अगर बात करे दिल्ली की तो हर साल AQI 300 के ऊपर दर्ज किया जाता है। जिसके कारण से जिस कारण वहां रह रहे लोगों में तरह-तरह की बीमारियां पनप रही है और इन सब के बीच साफ हवा लेने के लिए दिल्ली में ऑक्सीजन पार्लर तक का चलन चल चुका है। 

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