देशभर में हर तरफ नवरात्र की धूम है। भक्त माता रानी की भक्ती में डूबे हुए हैं। इस बीच कलकत्‍ता हाईकोर्ट से बुरी खबर सामने आई है यानी पश्चिम बंगाल में दुर्गा पूजा के सभी पंडाल को नो एंट्री जोन घोषित किया है। ऐसे में अब श्रद्धालुओं को पंडाल में प्रवेश की अनुमति नहीं मिलेगी। कोर्ट ने कहा है कि पंडाल के अंदर केवल आयोजकों को ही रहने की इजाजत होगी. कोरोना महामारी के मद्देनजर बड़े पंडालों के लिए यह संख्‍या 25 और छोटे पंडालों के लिए यह संख्‍या 15 सीमित की गई है । जिन लोगों को अंदर जाने की इजाजत होगी उनके नाम पंडाल के बाहर लिखे होंगे।

बता दें कि कोविड-19 के मद्देनजर इस बार कई दुर्गा पूजा समितियों ने आगंतुकों के आगमन पर रोक लगाते हुए आभासी दर्शन का प्रबंध किया है। कोर्ट के ये दिशानिर्देश राज्य के सभी 34,000 दुर्गा पूजा पंडालों पर लागू होंगे। हालांकि कई अन्य दुर्गा पूजा संघों का कहना है कि यह महोत्सव समावेशिता की भावना से ओतप्रोत है और आगंतुकों को पंडालों में आने से नहीं रोका जा सकता। उन्होंने भीड़ को संभालने और सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिये सभी जरूरी कदम उठाने का आश्वासन दिया है।  

पंडालों के लिए गाइडलाइन

कलकत्‍ता हाईकोर्ट की डिवीजन बेंच की ओर से कहा गया है कि सभी बड़े पंडाल को 10 मीटर की दूरी पर बैरिकेड लगाने होंगे जबकि छोटे पंडाल के लिए यह पांच मीटर की दूरी पर बैरिकेड लगाने होंगे। लोगों के स्‍वास्‍थ्‍य को अहम बताते हुए अदालत ने कहा कि कोलकाता में इतनी पुलिस नहीं है कि 3000 से ज्यादा पंडालों में श्रद्धालुओं को नियंत्रित कर सके। लिहाजा सभी पंडालों में नो एंट्री जोन बनाने को कहा गया है ताकि राज्य भर के जिलों में 31,000 अन्य पूजा स्थलों पर भीड़ को नियंत्रित किया सके। जानकारी के लिए बता दें कि राज्य ने 170 करोड़ रुपये 34,000 दुर्गा पूजाओं के बीच वितरित किए थे। कोर्ट के आदेश के बाद राज्य और पुलिस जल्द ही दुर्गा पूजा के दौरान इन नियमों के पालन करने के लिए तत्काल कदम उठाएंगे।   

डिजिटल कर सकेंगे दर्शन

कोलकाता शहर के कम से कम दो बड़े पूजा आयोजकों संतोष मित्रा स्क्वायर और देबदारू फाटक ने घोषणा की है कि इस बार बाहरी लोगों को आने की अनुमति नहीं होगी। उन्होंने कहा है कि लोग उनके यू-ट्यूब चैनलों के जरिए माता दुर्गा की मूर्ति की झलक पा सकते हैं और रस्में अदा कर सकते हैं।

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