तीनों कृषि कानूनों के विरोध में दिल्ली की सीमाओं पर एक साल से ज्यादा समय तक विरोध प्रदर्शन करने वाले किसान कृषि कानूनों की वापसी और अपनी मांगे मंगवाने के बाद अपने घरों में लौट चुके हैँ। ऐसे में अब ऐसे ही आंदोलन की तैयारी भाजपा शासित राज्य कर्नाटक की भी हो रही है। कर्नाटक के किसान अब मोदी सरकार के खिलाफ मोर्चा खोलते हुए नजर आएंगे।
कर्नाटक के किसान एग्रीकल्चर प्रोड्यूस मार्केटिंग कमिटी पर बने कानून की वापसी की मांग कर रहे हैं। कर्नाटक राज्य रैयत संघ हसिरू सेने नाम के संगठन ने सोमवार को विधानसभा घेरने का ऐलान किया है। आपको बता दे, ये कानून स्थानीय एपीएमसी के अधिकारों को नियंत्रित करता है। इसके साथ ही किसानों को मंडी समितियों से बाहर भी अपने उत्पादों को बेचने की छूट देता है। यही कारण है कि, कर्नाटक के किसान अब अपनी सरकार के खिलफा मोर्चा खोलने पर जुट गए हैं।
कर्नाटक सरकार ने विधानसभा सत्र में कर्नाटक कृषि उत्पाद विपणन समिति कानून में संशोधन को रद्द नहीं करने का फैसला किया है। जिसके बाद इस फैसले को लेकर विरोध भी देखने को मिल रहा है।
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केंद्र द्वारा तीनों कृषि कानूनों को निरस्त करने की मोदी की घोषणा के तुरंत बाद सीएम बसवराज बोम्मई ने कहा था कि वह पार्टी के शीर्ष अधिकारियों के निर्देशों का इंतजार करेंगे और फिर निर्णय लेंगे। कर्नाटक में विपक्षा चाहता है कि राज्य सरकार अपने कानून को वापस ले ले। लेकिन कर्नाटक की सराकर ये कानून वापस लेना नहीं चाहती है। जिसके लिए कर्नाटक के किसान अब आंदोलन करेंगे।
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