दिल्ली-NCR में वायु प्रदूषण का हाल लगातार बिगड़ता जा रहाहै। जिस पर केंद्र सरकार अब सख्त हो गया है। सुप्रीम कोर्ट में केंद्र सरकार ने आज कहा कि हम वायु प्रदूषण और पराली जलाने की समस्या से निपटने के लिए एक व्यापक कानून लाने जा रहे हैं। केंद्र के इस फैसले का सुप्रीम कोर्ट ने स्वागत किया। CJI एसए बोबड़े ने कहा कि यह स्वागत योग्य कदम है कि केंद्र एक कानून लेकर आएगा। वायु प्रदूषण के मसले पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान वरिष्ठ वकील हरीश साल्वे ने कहा कि समस्या यह है कि अदालत के हस्तक्षेप का कोई प्रभाव नहीं पड़ा है. सरकारों को राजनीतिक समाधान के साथ आना चाहिए. वहीं, वरिष्ठ वकील विकास सिंह का कहना है कि कानून अगले साल तक लागू हो जाएगा।

वायु प्रदूषण पर लगेगा अंकुश ?

सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि, अगर सरकार जल्दी से आदेश पारित करना चाहती है तो वे अध्यादेश पारित करेंगे। दलील सुनने के बाद सुप्रीम कोर्ट ने अपने द्वारा नियुक्त रिटायर जस्टिस एमबी लोकुर की एक सदस्यीय कमेटी की ओर से पराली जलाने के मामले का भौतिक सत्यापन करने के आदेश पर स्टे लगा दिया। CJI एसए बोबड़े ने कहा कि हम 16 अक्टूबर के आदेश का पालन करेंगे, क्योंकि वायु प्रदूषण और पराली जलाने पर केंद्र सरकार अध्यादेश के रूप में एक कानून जारी करने का प्रस्ताव दे रही है। CJI ने कहा कि यह स्वागतयोग्य कदम है। वायु प्रदूषण के कारण लोगों का दम घुट रहा है। इस पर अंकुश लगना चाहिए।

अगले हफ्ते मामले की सुनवाई

सुप्रीम कोर्ट ने फिलहाल जस्टिस लोकुर वाली एक सदस्यीय कमिटी के गठन वाले आदेश पर रोक लगाया। अब मामले की सुनवाई अगले हफ्ते होगी। सुप्रीम कोर्ट ने 16 तारीख को हरियाणा और पंजाब में पराली जलाने मामले की जांच के लिए गठित एक सदस्यीय कमेटी का नेतृत्व रिटायर जस्टिस मदन बी लोकुर के हाथों में सौंपा था। इसपर सॉलसीटर जनरल तुषार मेहता ने तब आपत्ति जताई थी। लोकुर सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज रहे हैं। बता दें कि दिल्ली और NCR में पराली जलाए जाने के कारण प्रदूषण की जटिल समस्या से निपटने के लिए हर साल प्रयास किए जाते हैं। इस क्रम में सुप्रीम कोर्ट ने एक टीम का ही गठन किया था जो प्रदूषण स्तर को देखते हुए पराली जलाए जाने की प्रक्रिया की निगरानी करती, लेकिन अब उस कमेटी पर रोक लगा दी है।

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