पहाड़ों में हो रही लगातार बारिश से उत्तराखंड के कई जिलों में जनजीवन अस्त व्यस्त हो गया है। भारी बारिश सबसे ज्यादा पहाड़ी इलाकों पर कहर बरपा रही है। कई जिलों में बारिस ने बाढ़ जैसी स्थिति पैदा कर दी है। जगह-जगह टूटते पहाड़ और भूस्खलन ने लोगों को घर छोड़ने पर मजबूर कर दिया है। बरसाती नदियां उफान पर हैं। कहीं जगह मंदिर डूब गए हैं। नालों का पानी घरों के अंदर से होकर बह रहा है। सबसे पहले पिथौरागढ़ की बात करते हैं। जिले के जोलजीबी मदकोट मुनस्यारी मार्ग पर हाल में ही बना एक पुल बाढ़ के पानी से नदी में बह गया है। गोसी नदी के पानी में पुल बहा है। दोगड़ीगाढ़ के पास मेंचा गांव के लोग पुल बहने और नदी का जलस्तर बढ़ने के कारण खौफ में हैं। नदी किनारे बसे इस गांव में बाढ़ का पानी भर रहा है। इसके साथ ही धारचूला में लगातार बारिश और भूस्खलन के कारण दो स्थानों पर कैलाश-मानसरोवर यात्रा रूट बंद हो गया।
उत्तराखंड के रामनगर से 30 किलोमीटर दूर पाटकोट गांव में बारिश ने आफत मचा रखी है। यहां लगातार हो रही बारिश से बरसाती नाले में एक बाइक सवार बह गया। हालांकि, किस्मत ने बाइकसवार का साथ दिया, वहां के लोगों ने उसकी तुरंत मदद की और गहरी खाई में जाने से रोक लिया। उत्तराखंड के संकरी तालुका में लोग उफनती नदी को जान पर खेलकर पार कर रहे हैं। खतरा इतना है कि एक लकड़ी के सहारे नदी पार कर रहे लोगों के पांव फिसलते ही जिंदगी खत्म हो सकती है।
रविवार देर रात से हो रही बारिश से बरसाती नदियां उफान पर हैं। भूस्खलन के चलते यातायात भी बाधित हो रहा है। रुद्रप्रयाग जिले के विकास खंड जखोली के सिरवाड़ी गांव में बीती रात को बादल फटने से आधा दर्जन आवासीय भवनों के ऊपर मलवा आ गया। गांव को जाने वाली सड़क, संपर्क मार्ग, पेयजल और विद्युत लाइन क्षतिग्रस्त हो गई हैं। दरअसल सिरवाड़ी गांव में सोमवार की सुबह बादल फट गया जिसके बाद अचानक आए पानी का सैलाब ने सब कुछ बर्बाद कर दिया। देखते ही देखते कई घर तबाह हो गए। बचे घरों में मलबा घुस गया। खेती बर्बाद हो गई। यहां गांववालों के पास पैदल चलने की जगह भी नहीं बची।
मूसलाधार बारिश से उत्तराखंड के मैदानी इलाकों में भी जमकर कहर बरपाया। सितारगंज में बैगुल नदी उफान पर आ गई। इसके कारण बाढ़ आने से नदी का पानी पास के ही अरविंद नगर सात और आठ नंबर गांव के करीब 250 घरों में घुस गया। गांव से बाहर निकलने के लिए लोगों ने नांव का सहारा लिया। बारिश का पानी गांव में घुसने से कई परिवारों ने घरों को छोड़कर रिश्तेदारों के घरों पर पनाह ली है। कई लोग अपने घरों में ही मचान बनाकर रह रहे हैं।
टपकेश्वर महादेव मंदिर में सालों बाद सावन के अंतिम सोमवार में तमसा नदी अपने रौद्र रुप में दिखी। मंदिर को आने वाले रास्तों ने भी नदी का रूप धारण कर लिया। घंटो तक श्रद्धालु बाहर रुके रहे जलस्तर कम होने पर उन्होंने मंदिरों के दर्शन किए। माता वैष्णो देवी गुफा योग मंदिर की सुरक्षा दीवार भी तेज प्रवाह में बह गई। मंदिर के संस्थापक आचार्य विपिन जोशी ने बताया कि कई साल बाद इस तरह नदी का जलस्तर बढ़ा।
देवभूमि में आफत की बारिश जारी है और लोग परेशान हैं। कई लोग पलायन कर चुके हैं तो कई लोग घरों में घुसे पानी के बीच अपनी जिंदगी गुजारने को मजबूर हैं।