चीन लगता सुधरने वाला नहीं है। लगातार भारत को उकसा रहा है। चीन की सेना अपनी सैन्य ताकत दिखाकर भारत को डराना चाह रही है। लेकिन शायद वह जानता नहीं यह नया भारत है और चीन को मुहतोड़ जवाब देने की पूरी तैयारी कर चुका है। अब चीन की सेना का कलेजा और भी ज्यादा कांपने वाला है। वायुसेना के जंगी बेड़े के सबसे शक्तिशाली फाइटर जेट्स राफेल अब लेह-लद्दाख के आसमान में कॉम्बेट एयर पैट्रोलिंग करते हुए देखे जा रहे हैं। पिछले चार महीने से यानि जब से पूर्वी लद्दाख में एलएसी पर चीन से टकराव शुरू हुआ है तभी से भारतीय वायुसेना के लड़ाकू विमान एलएसी के करीब एयर-स्पेस में कॉम्बेट पैट्रोलिंग कर रहे हैं। और इनमें अब एक नाम और जुड़ गया है और वह है ‘शक्तिमान’ राफेल का।

लद्दाख सीमा पर गरजा राफेल

लेह लद्दाख के आसमान में राफेल लड़ाकू विमान कॉम्बेट एयर पैट्रोलिंग करते हुए साफ देखा जा सकता है। यानि सुखोई, मिग-29, मिराज 2000 और तेजस के साथ साथ राफेल लड़ाकू विमान भी चीन सीमा की निगहबानी में जुट गया है। जानकारी के मुताबिक, राफेल पायलटों ने अंबाला से लद्दाख तक विमानों को उड़ाया। दरअसल, ये एक प्रैक्टिस के तौर पर किया गया। ऐसा इसलिए किया जा रहा है ताकि राफेल पायलट वहां के मौसम और वातावरण से परिचित हो जाएं। अगर चीन किसी भी तरह की गुस्ताखी करे और राफेल की जरूरत पड़े तो उसके पायलट इस वातावरण से पहले से ही परिचित हों। मिडएयर रीफ्यूलिंग के बिना 4.5-जनरेशन के राफेल्स की सीमा 780-किमी से 1,650 किमी तक होती है। ये अलग-अलग ऑपरेशन पर निर्भर करता है। इसके अलावा लड़ाकू विमानों को 300 किलोमीटर से अधिक लंबी दूरी के स्कैल्प, एयर-टू-ग्राउंड क्रूज़ मिसाइलों जैसे लंबे स्टैंड-ऑफ हथियारों से लैस किया गया है।

दुश्मनों की अब खैर नहीं

10 सितंबर को अंबाला में इंडक्शन-सेरेमनी के दौरान भी वायुसेना प्रमुख, एयर चीफ मार्शल आर के एस भदौरिया ने इस बात की तस्दीक की थी कि राफेल लड़ाकू विमान पूरी तरह‌ से तैयार हैं और मौजूदा परिप्रेक्ष्य में खुद को उसके अनुरूप बना रहा है। उस समय वायुसेना प्रमुख आरकेएस भदौरिया ने कहा था कि, उन्हें सही वक्त पर वायुसेना में शामिल किया गया है। ये वायुसेना की ताकत में इजाफा करेंगे। उन्होंने यह भी कहा था कि गोल्डन एरोज को जहां भी तैनात किया जाएगा, वह हमेशा दुश्मन पर भारी पड़ेंगे। बीच में खबरें आई थीं कि चीन ने तिब्बत के क्षेत्र में पड़ने वाले कई हवाई अड्डों पर लड़ाकू विमानों की तैनाती की है, जिसके चलते भारत के लिए भी इस प्रकार का कदम उठाना जरूरी है।

29 जुलाई को भारत में हुआ स्वागत

29 जुलाई को पांच राफेल फ्रांस से अंबाला एयरबेस पहुंचे। इसके बाद राफेल का ट्रायल हिमाचल प्रदेश की पहाड़ी इलाकों सहित विभिन्न इलाकों में दिन और रात में उड़ाया गया था। सितंबर 2016 में फ्रांस के साथ 59,000 करोड़ रुपये के सौदे के तहत सभी 36 राफेल 2022 तक भारत आने की संभावना है। 22 किलोमीटर की स्ट्राइक रेंज, ‘स्कैल्प’ मिसाइलों और अन्य हथियारों से लैस राफेल पाकिस्तानी और चीनी प्रतिद्वंद्वियों जैसे एफ -16, जेएफ -17 और J-20s को पीछे छोड़ देगा। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह भी चीन को सख्त चेतावनी देते हुए कह चुके हैं राफेल का समावेश दुनिया के लिए और विशेष रूप से भारत की संप्रभुता को चुनौती देने वालों के लिए एक मजबूत संदेश था

चीन लगातार दिखा रहा है आंख

लगातार खबरें आ रही हैं कि चीन पूर्वी लद्दाख से सटे अपने एयरबेस‌ अपग्रेड कर रहा है और लड़ाकू विमानों की संख्या बढ़ा रहा है।‌ जानकारी के मुताबिक, चीन भी लद्दाख और हिमाचल प्रदेश से सटी भारत की एयर स्पेस पर अपने फाइटर जेट्स और हेलीकॉप्टर उड़ा रहा है। हाल ही एलएसी से सटे तिब्बत के नगरी-गुंसा एयरपोर्ट को चीन ने एयरबेस में तब्दील कर दिया है। वहां चीन के फाइटर जेट्स बड़ी तादाद में देखे जा सकते हैं।

Share.
Exit mobile version