झारखंड के देवघर में हुए रोड पर हादसे को 40 घंटे का समय हो चुका है। लेकिन रेस्क्यू ऑपरेशन पूरा नहीं हो पाया है। अभी तक सिर्फ 10 लोग रोकने की ट्रॉलियों में है। ‌झारखंड के देवघर जिले में त्रिकूट पहाड़ियों को जोड़ने वाली केबल कार में करीब 40 घंटे तक हवा में ऐसे 15 पर्यटकों में से 10 को वायुसेना के हेलीकॉप्टर में सुरक्षित निकाल लिया। झारखंड पर्यटक विभाग के अनुसार त्रिकूट रोपवे भारत का सबसे ऊंचा रोपवे हैं। यह लगभग 776 मीटर लंबा हैं।

एनडीआरएफ की टीम सुरक्षित निकाल रही

वायु सेना के हेलीकॉप्टर का बचाव अभियान मंगलवार को सुबह फिर से शुरू हुआ। अधिकारियों ने जानकारी दी कि रविवार की शाम 4:00 बजे ट्रॉली कारों के आपस में टकराने की खराबी आ जाने के बाद हवा में लटकी कार से अब तक करीब 50 लोगों को सुरक्षित निकाला गया है। देवघर के उपायुक्त मंजूनाथ का कहना है कि त्रिकूट पर्वत पर यात्रा के दौरान फंसे लोगों को वायुसेना और एनडीआरएफ की टीम सुरक्षित निकाल रही है।

सुबह बचाव अभियान शुरू किया

देवघर के उपायुक्त मंजूनाथ का कहना है कि वायु सेना, सेना, एनडीआरएफ, आईटीबीपी और स्थानीय प्रशासन की टीम ने सुबह बचाव अभियान शुरू किया ताकि फंसे हुए लोगों को बचाया जा सके। सूर्यास्त के बाद बचाव अभियान को रोकना पड़ा क्योंकि रोपवे पर पहाड़ियों से गिरे घने जंगलों से होकर जाना पड़ता है जहां वायु मार्ग के अलावा दूसरे मार्ग से पहुंचना मुश्किल है। इसके अलावा जमीन से बचाव अभियान चलाना भी मुश्किल है क्योंकि ट्रॉलियां 1500 फुट तक ऊंचाई पर लटकी है।

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खाद्य पदार्थों की आपूर्ति के लिए ड्रोन का इस्तेमाल

हवा में लटकी केबल कारों में फंसे लोगों को भोजन और पानी की आपूर्ति के लिए ड्रोन का इस्तेमाल किया जा रहा है। वहीं झारखंड के राज्यपाल रमेश बैस का कहना है कि विश्व प्रसिद्ध धार्मिक स्थल देवघर के त्रिकूट पर्वत पर हुई दुर्घटना बहुत दुखद और दर्दनाक है। मैं मृतकों के परिवार के प्रति अपनी गहरी संवेदना व्यक्त करता हूं और बाबा बैद्यनाथ से घायलों के शीघ्र स्वास्थ्य लाभ की प्रार्थना करता हूं।

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