करवा चौथ के मौके पर डाबर कंपनी ने अपने एक विज्ञापन में लेस्बियन जोड़े को दिखाया था, जिसपर जमकर बवाल हुआ. इस विवाद को लेकर सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस धनंजय वी चंद्रचूड़ ने टिप्पणी की है. उन्होने एक कार्यक्रम के दौरान अपनी बातें सामने रखी और महिलाओं के हक से लेकर कई दूसरे मसलों पर अपनी बात रखी।

जस्टिस चंद्रचूड़ ने बेबाकी से रखी राय
दरअसल, जस्टिस धनंजय वी चंद्रचूड़ नेशनल लीगल सर्विसेज ऑथोरिटी ऑफ इंडिया और राष्ट्रीय महिला आयोग के संयुक्त कार्यक्रम में बोल रहे थे. इस दौरान उन्होने साफ कहा कि, “कानून के आदर्श प्रावधानों और समाज की सच्चाइयों में काफी अंतर दिखता है. तभी तो जनहित का हवाला देते हुए उस विज्ञापन को वापस लेने के लिए कंपनी को मजबूर होना पड़ा.”

डाबर ने मांगी थी माफ़ी
डाबर के विवादित विज्ञापन को लेकर सोशल मीडिया पर काफी बवाल हुआ था. टिप्पणियों की बाढ़ आ गई थी. मध्य प्रदेश के गृह मंत्री ने तो चेतावनी दी थी कि विज्ञापन वापस अगर नहीं लिया गया तो जनता डाबर के खिलाफ केस करेगी। उन्होने कंपनी को भी सख्त लहजे में चेतावनी दी थी।

महिलाएं की महिला के तौर पर एक पहचान नहीं हैं
जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा कि, “वे सिर्फ़ महिला के तौर पर एक पहचान नहीं हैं. अनुसूचित जाति या फिर ट्रांसजेंडर महिला को कई तरह के भेदभाव का सामना करना पड़ता है. कोर्ट के कई फैसलों में भी ये बातें साफ-साफ उजागर होती हैं. भेदभाव के कई मानदंड हैं.”

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पुरुषों को होना होगा जागरुक
उन्होने महिलाओं के उत्थान को लेकर बोलते हुए कहा कि, “महिलाओं के अधिकारों को लेकर सार्थक और सकारात्मक मजबूती तभी संभव होगी जब इस मुद्दे पर पुरुषों में भी जागरूकता आए. जब एक महिला से उसकी पहचान के साथ ही जाति, वर्ग, धर्म, विकलांगता और लैंगिक आधार जैसी पहचान जुड़ती हैं, तो उसे हिंसा और भेदभाव का सामना करना पड़ सकता है.”

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