हमारा देश भारत आज भले ही विकास की राह पर चल रहा है, तकनीक की दुनिया में कदम रख रहा है,लेकिन कहीं ना कहीं आज भी हमारा ख्याल काफी पिछड़ा हुआ है। आज भी हम अंधविश्वास के शिकार हैं। हजारों साल पुरानी कुरीतियों को पकड़ कर बैठे हैं।आस्था और रीति रिवाज के नाम पर हम कहीं ना कहीं किसी ना किसी के साथ नाइंसाफी कर रहे हैं। भारत में आज भी कई ऐसे पिछड़े इलाके हैं जहां पर खुलेआम बाल विवाह किया जाता है।

मॉडर्न खयालों के होते हुए भी हम इन कुरीतियों का बहुत कम विरोध करते हैं। संस्कृति और अपनी धार्मिक पहचान में अक्सर लोग कुरीतियों को परंपरा मानकर उनकी बुराई नहीं करते। वहीं कई लोग ऐसे भी होते हैं, जो इन सामाजिक बीमारियों का खुलकर विरोध करते हैं। एक लड़की इन दिनों मशहूर हो रही है जो इन कुरीतियों का बढ़-चढ़कर विरोध कर रही है। हम बात कर रहे हैं उड़ीसा की रहने वाली मंजू पात्रा की मंजू की उम्र इस समय महज 20 साल की है इस छोटी सी उम्र में भी वह कई बड़े काम कर रही है। मंजू बाल विवाह और महिलाओं के साथ होने वाली घरेलू हिंसा के खिलाफ एक अभियान चला रही है।

आपको बता दें कि बीते फरवरी महीने में मंजू ने अपने ही गांव के भीतर 16 साल की लड़की का बाल विवाह रुकवा दिया था। यही नहीं उन्होंने लड़के के घरवालों की पुलिस कंप्लेन भी की। इस घटना के बाद लड़के के घर वाले नाराज होकर मंजू को किडनैप करने की धमकी देने लगे। इसके बाद भी मंजू डरी नहीं।

मंजु ओडिशा के कालाहांडी में स्थित बोरभत गांव में रहती हैं। इस जगह पर महिलाओं की स्थिति काफी दयनीय है। यहां पर छोटी लड़कियों को स्कूल नहीं भेजा जाता है। उनके माता पिता उनकी कम उम्र में ही विवाह करवा देते हैं। इन कुरीतियों को खत्म करने की प्रेरणा मंजू को उनकी मां से मिली। 


मंजु बताती हैं की मेरी मां का 14 साल की उम्र में ही मेरे पिता के साथ विवाह कर दिया गया था। उस दौरान मेरे पिता 17 साल के थे। मेरी मां के कुल 14 बच्चे हुए, जिनमें से केवल 4 जिंदा हैं। मैंने अपनी मां का दर्द और उनकी परेशानियों को करीब से देखा है। इसी से मुझे बाल विवाह रोकने की प्रेरणा मिली। मैं चाहती हूं कि जो दर्द मेरी मां ने सहा वो कोई और ना सहे।”


मंजू ने साल 2017 में 12 वीं कक्षा को पास करने के बाद ऑक्सफेम इंडिया की मदद से जागरूकता अभियान चलाया। इसमें उन्होंने महिलाओं के साथ होने वाली हिंसा और बाल विवाह के प्रति लोगों को जागरूक करने का काम किया। उनके इस कदम से इस गांव के गोंड समुदाय के लोगों में बाल विवाह के दुष्परिणामों के प्रति जागरूकता बढ़ी है। 

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