यूक्रेन और रूस के बीच युद्ध में मारे गए भारतीय छात्र नवीन के पिता ने दावा किया है कि महंगी मेडिकल शिक्षा और जातिवाद कुछ ऐसे कारक हैं जिनकी वजह से भारतीय विद्यार्थी डॉक्टर बनने का ख्वाब पूरा करने के लिए विदेशों में जाते हैं। भारतीय छात्र अपने सपने को साकार करने के लिए यूक्रेन देशों का रुख करते हैं। वही शोक संतप्त शेखरप्पा का कहना है कि निजी नियंत्रण वाले कॉलेजों में भी मेडिकल की सीट लेने के लिए करोड़ों रुपए का खर्च आता है। इसी वजह से मेडिकल की पढ़ाई करना काफी कठिन है।

शोक का कहना है कि शिक्षा प्रणाली और जातिवाद के कारण विद्यार्थियों को सीट नहीं मिल पाती। मेधावी छात्र होने के कारण भी वह सीट लेने में पीछे रह जाते हैं। एक मेडिकल सीट हासिल करने के लिए एक करोड़ से दो करोड़ रुपए घूस देने पड़ते हैं। ज्ञानगौड़ा का कहना है कि देश की राजनीति प्रणाली शिक्षा स्वास्थ्य और जातिवाद से ज्यादा दुखी है उनका कहना है कि जब कोई शिक्षा लाखों रुपए में मिल जाती है तो करोड़ों रुपए क्यों खर्च किए जाएं। यूक्रेन में मेडिकल की शिक्षा बहुत अच्छी है। और भारत की तुलना में वहां उपकरण भी उपलब्ध है।

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यूक्रेन में मेडिकल की पढ़ाई का खर्च कम आता है इसलिए ज्यादा संख्या में मेडिकल की पढ़ाई करने के लिए छात्र यूक्रेन जाते हैं। हवेरी जिले के चलागेरी का रहने वाला नवीन यूक्रेन के खारकीव स्थित एक मेडिकल कॉलेज में एमबीबीएस के चौथे वर्ष में था। मैं खाने पीने के सामान के लिए बाहर गया और गोलाबारी की चपेट में आ गया। जिस कारण उसकी मौत हो गई। प्रधानमंत्री मोदी ने ज्ञानगौड़ा को फोन कर शोक व्यक्त किया है। ज्ञानगौंडा का कहना है कि मोदी ने उन्हें उनके बेटे का शव 2 या 3 दिन में भारत लाने का आश्वासन दिया है।

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