पाकिस्तान को लगता है बेइज्जती करवाने की आदत सी हो गई है। अबकी बार सऊदी ने पाकिस्तान की घोर बेइज्जती की है। सऊदी अरब को मनाने रियाद पहुंचे पाकिस्तान आर्मी चीफ जनरल कमर जावेद बाजवा खाली हाथ इस्लामाबाद लौट गए हैं। उन्होंने सऊदी अरब के क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान से मिलने के लिए कड़ी मेहनत की। लेकिन खबरें हैं कि सऊदी अरब के क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान ने पाकिस्तानी आर्मी चीफ से मुलाकात ही नहीं की। सऊदी क्राउन प्रिंस ने व्यस्त होने की बात कहकर दो टूक लहजे में पाक आर्मी चीफ से मिलने से मना कर दिया। दोनों देशों के बीच आई तल्खी का पता इस बात से लगाया जा सकता है कि रियाद में बाजवा के सम्मान में आयोजित कार्यक्रम को आखिरी वक्त पर रद्द कर दिया गया, जिसके बाद उन्हें खाली हाथ ही वापस लौटना पड़ा। दोनों देशों के रिश्तों में दरार पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी के एक बयान के बाद पड़े हैं।

सेना चीफ बाजवा की अपमान

सऊदी ने पहले पाकिस्तानी सेना प्रमुख जनरल बाजवा को सम्मानित करने का ऐलान किया था। रियाद प्रशासन ने उसे भी कैंसल कर दिया। अपमानित होकर जनरल बाजवा ने सऊदी अरब के सेना प्रमुख फय्यद बिन हामिद अल-रूवैली से मुलाकात की। हालांकि ये भी एक कर्टसी विजिट ही साबित हुई और इसमें भी सैन्य सहयोग के आलावा किसी और मुद्दे पर चर्चा नहीं हो पाई इस दौरान उन्होंने सऊदी अरब को और अधिक सैन्य मदद देने की इच्छा भी जाहिर की। सऊदी के कड़े रुख के बाद पाकिस्तान में भी कुरैशी के बयान को लेकर उनकी कुर्सी पर भी खतरा दिख रहा हैं। पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय ने कुरैशी के बयान पर सफाई देते हुए कहा कि उनका बयान IOC और सऊदी अरब के प्रति उनका भरोसा दिखाता है। विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता आइशा फारुकी ने कहा कि कश्मीर मामले में पाकिस्तान IOC से और सक्रियता की उम्मीद करता है। उन्होंने आगे कहा कि इस मुद्दे को अंतरराष्ट्रीय मंचों पर उठाने में पाकिस्तान सिर्फ सऊदी और अन्य देशों का सहयोग मांग रहा है।

सऊदी की नाराजगी की वजह

दरअसल सऊदी अरब पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी के बयानों को लेकर गुस्सा है। कुरैशी ने कश्मीर मामले को लेकर सऊदी अरब के रूख की सार्वजनिक निंदा की थी। उन्होंने सऊदी को धमकी देते हुए कश्मीर पर अकेले बैठक बुलाने का ऐलान भी किया था। कुरैशी ने यह भी कहा था कि जैसे पाकिस्तान ने सऊदी अरब के अनुरोध के बाद खुद को कुआलालंपुर शिखर सम्मेलन से अलग किया, वैसे ही अब रियाद को इस मुद्दे पर नेतृत्व दिखाना चाहिए। सिर्फ कुरैशी ही नहीं, इमरान खान भी सऊदी अरब विरोधी बयान दे चुके हैं। 22 मई को कश्मीर में ओआईसी के सदस्यों से समर्थन जुटाने में पाकिस्तान विफल रहा था। उसके बाद प्रधान मंत्री इमरान खान ने कहा था कि इसका कारण यह है कि हमारे पास कोई एकजुटता नहीं है और हमारे बीच सिर्फ विभाजन है।

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