New Delhi: किसानों के द्वारा कृषि कानून के विरोध में किए जा रहे प्रर्दशन का आज पांचवा दिन है। किसान लगातार आंदोलन कर रहे है. उनकी मांग है कि केंद्र सरकार कृषि से जुड़े कानूनों को वापस ले. वहीं किसानों के आंदोलन पर कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो की टिप्पणी के बाद भारत में राजनीतिक गर्म हो गई है। कनाडा के प्रधानमंत्री की टिप्पणी के बाद शिवसेना ने जवाब देते हुए कहा है कि यह भारत का आंतरिक मामला है, और किसी को इसमें हस्तक्षेप करने की जरूरत नही है।

क्या है किसानों की मांग:
दरसल हजारों की संख्या में किसान दिल्ली के आसपास डेरा डालकर केंद्र सरकार से कानून वापस लेनें की मांग कर रहे हैं। किसान सरकार के नए कानून से खुश नहीं है। एमएसपी को लेकर किसान सरकार के इस कानून का विरोध कर रहे हैं, वो चाहते हैं कि सरकार अपने फैसले पर विचार करे तथा कानून को वापस ले. वहीं किसानों के इस आंदोलन पर टिप्पणी करने वाले कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो पहले विदेशी नेता हैं. जस्टिन ट्रूडो ने आंदोलन को लेकर चिंता जताई.

शिवसेना ने जताया विरोध:
शिवसेना ने जस्टिन ट्रूडो की टिप्पणी पर नाराजगी जताई है। शिवसेना की नेता प्रियंका चतुर्वेदी कहा है कि, “किसानों का आंदोलन भारत का आंतरिक मामला है. प्रियंका ने कहा है कि भारत का आंतरिक मुद्दा किसी अन्य राष्ट्र की राजनीति के लिए चारा नहीं है. उन शिष्टाचारों का सम्मान करें जो हम हमेशा अन्य देशों तक बढ़ाते हैं. पीएम नरेंद्र मोदी से अनुरोध है कि अन्य देशों के सामने मुद्दा बनने से पहले इस गतिरोध को हल कर लें”

क्या थी टिप्पणी?
कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने एक कार्यक्रम के दौरान कहा था कि, “भारत में किसानों के आंदोलन को लेकर आ रही खबरें बहुत चिंताजनक हैं. हम उनके परिवारों और मित्रों को लेकर चिंतित हैं. कनाडा शांति पूर्ण समर्थन में है और हमने इस मुद्द को लेकर अलग-अलग तरीकों से भारत सरकार से संपर्क किया है”

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