मध्य प्रदेश की राजनीति ने पिछले 6 महीने में कई रंग दिखाए हैं । 15 साल बाद 2018 में कांग्रेस को मध्य प्रदेश की सत्ता मिली लेकिन 2020 आते – आते कांग्रेस में ही 2 गुट बन गए। कांग्रेस एक बार फिर ढेर हो गई और बीजेपी के हाथों में सत्ता चली गई । 23 मार्च 2020 को शिवराज सिंह ने मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री पद की शपथ ली। ठीक 100 दिन बाद शिवराज कैबिनेट का पहला विस्तार हुआ । जिसमे कांग्रेस से बागी हुए और बीजेपी में शामिल हुए ज्योतिरादित्य सिंधिया के साथियों की छाप दिखी ,तो कैबिनेट विस्तार के कुछ समय बाद ही बीजेपी में विरोध के सुर तेज हो गए । पूर्व केंद्रीय मंत्री उमा भारती ने बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा समेत मध्य प्रदेश के बीजेपी प्रभारी को शिकायती खत लिख डाला । पत्र में उमा भारती ने लिखा कि – उनकी सिफारिशों को नजरअंदाज कर दिया गया और साथ ही उमा भारती ने मंत्रियों की सूची में बदलाव की मांग कर दी ।

गुरुवार को शिवराज कैबिनेट में 28 नेताओं को मंत्री पद की शपथ दिलाई गई थी । जिन में 20 कैबिनेट मंत्री, 8 राज्य मंत्री शामिल हैं। शपथ समारोह में ज्योतिरादित्य सिंधिया भी मौजूद रहे । शिवराज कैबिनेट में सिंधिया गुट के 12 नेताओं को मंत्री बनाया गया । जिसके कुछ घंटों बाद ही बीजेपी में विरोध की आवाज़ ने जोर पकड़ लिया । अब ये समझते हैं आखिर मध्य प्रदेश में सत्ता हाथ से फिसली तो कैसे फिसली । 17 दिसंबर 2018 को कमलनाथ मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री बने । उसी समय बीजेपी ने दावा कर दिया था कि ये सरकार ज्यादा दिन चलने वाली नहीं है और ये बात सच भी साबित हुई । 20 जनवरी 2020 को कमलनाथ ने इस्तीफा दे दिया । इस पूरी कहानी को जानने के लिए आपको थोड़ा पीछे जाना होगा । मध्य प्रदेश के टीकमगढ़ में 13 फरवरी 2020 को ज्योतिरादित्य सिंधिया के दिए हुए भाषण को समझना होगा । जिसमे उन्होंने कहा था कि -जनता के मुद्दों को लेकर वो अपनी सरकार के खिलाफ सड़कों पर भी उतर जाएंगे । जिसके बाद राजनीति बवाल शुरू हो गया। कमलनाथ और सिंधिया एक दूसरे के सामने आ गए। सिंधिया सड़क पर तो नहीं उतरे लेकिन कांग्रेस को सड़क पर ज़रूर ला दिया और महाराज ने बीजेपी का हाथ थाम लिया । फ्लोर टेस्ट से पहले 20 जनवरी को कमलनाथ ने इस्तीफा दे दिया । 23 मार्च को शिवराज के हाथों में सत्ता की चाभी आ गई। उस समय शिवराज के साथ 6 नेताओं ने भी मंत्री पद की शपथ ली। 230 विधानसभा सदस्य वाले मध्य प्रदेश में अधिकतर 35 विधायक मंत्री बनाए जा सकते हैं ।लिहाजा बीजेपी को सत्ता की कुर्सी दिलाने वाले सिंधिया समर्थकों को शिवराज कैबिनेट में अधिक तवज्जो मिलने के बाद बीजेपी में बगावत के सुर तेजी बढ़ते हुए नजर आ रहे हैं तो वहीं दूसरी और सिंधिया खेमा शिवराज कैबिनेट से संतुष्ट है ।

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