नई दिल्ली: देश की सर्वोच्च अदालत ने केंद्र सरकार के नए कृषि कानूनों पर रोक लगा दी है। सुप्रीम कोर्ट में चीफ जस्टिस की आगुवाई वाली बेंच ने सुनवाई करते हुए नए कृषि कानूनों पर रोक लगाई है। इसके अलावा सुप्रीम कोर्ट ने एक अलग कमेटी का गठन किया है। यह कमेटी सरकार और किसानों के बीच जो विवाद है उसको समझेगी और सुप्रीम कोर्ट में इससे संबंधित रिपोर्ट देगी। बता दें कि नए कृषि कानूनों के खिलाफ किसान दिल्ली की सीमाओं पर डटे हुए हैं। किसानों की मांग है कि सरकार इन कानूनों को वापस ले। फिलहाल सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले के आने के बाद किसानों को राहत मिली है।

कमेटी ही निभाएगी निर्णायक भूमिका:
सुप्रीम कोर्ट के द्वारा गठित कमेटी इस मामलें में सबसे निर्णायक भूमिका निभाएगी। हालांकि किसानों ने इससे पहले कमेटी का विरोध किया था, और कमेटी के सामने पेश होने से भी मना कर दिया था। वहीं कोर्ट का कहना है कि अगर मामलें का हल निकालना है तो कमेटी के सामने आना हीं पड़ेगा। मतलब अब यह साफ हो गया है कि कृषि कानूनों को लेकर जो कोई भी मुद्दा होगा उसे कमेटी के सामने उठाया जाएगा। सुप्रीम कोर्ट ने ये साफ कर दिया है कि कमेटी को मध्यस्थ्ता नहीं करवाएगी।

कैसी होगी कमेटी:
नए कृषि कानूनों को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने जो कमेटी का गठन किया है उसमें चार लोगों को शामिल किया जाएगा। इसमें कोर्ट के द्वारा जिन नामों को फाइनल किया गया है। उसमें भारतीय किसान यूनियन के भूपेंद्र सिंह मान, डॉ. प्रमोद कुमार जोशी, अशोक गुलाटी (कृषि विशेषज्ञ) और अनिल घनवंत शामिल होंगे। सुप्रीम कोर्ट के द्वारा गठित कमेटी अपनी रिपोर्ट सुप्रीम कोर्ट को सौंपेगी। कोर्ट का कहना है कि जबतक कमेटी की रिपोर्ट नहीं आ जाती तबतक तीनों कानूनों पर रोक जारी रहेगा।

50 दिनों से जारी है किसानों की लड़ाई:
दिल्ली की सीमाओं पर लगातार 50 दिनों से किसान डटे हुए हैं। किसानों का जत्था दिल्ली के आसपास जमा हुआ है, इनमें बुजुर्ग, महिलाएं और छोटे बच्चे भी हैं। कई किसानों की प्रर्दशन के दौरान मौत भी हो गई है। सरकार के साथ किसानों की कई दौर की बातचीत हो चुकी है, हालांकि अभी सहमती नहीं बन पाई है।

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