कभी-कभी बच्चों की इच्छा पूरी करना अच्छी बात है,पर वो भी तब तक…..जब तक बच्चों की इच्छा ज़िद में न बदले। कभी कभी बच्चे इतनी ज़िद करने लग जाते हैं कि समझ ही नहीं आता कि बच्चों को कैसे समझाया जाये कि ज़िद करना अच्छी बात नहीं है। बच्चों के दिमाग में ये बात डालना बहुत ज़रूरी है कि ऐसा मुमकिन नहीं है कि आप ज़िन्दगी में जिस चीज़ के लिए ज़िद कर रहे हैं वो चीज़ आपको मिल ही जाये। जब बच्चों की ज़िद पूरी नहीं होती तो बच्चे बहुत अलग = अलग तरह का बर्ताव करते हैं। जैसे कि गुस्सा हो जाते है ,किसी से बात नहीं करते हैं ,रोने लग जाते हैं, खाने पर ही अपना गुस्सा निकल देते यानी कि भूख हड़ताल पर बैठ जाते हैं या फिर घर से चोरी करके अपनी पसंद की चीज़ खरीद लेते हैं। लेकिन इन सब बातों से परे एक ऐसी घटना सामने आयी है जिसे जानने के बाद आप हैरानी में पड़ जायेंगे और ये सोचने पर मजबूर हो जायेंगे कि ऐसी भी क्या ज़िद जिसके पूरे न होने पर बच्चे ने इतना बड़ा भयानक कदम उठा लिया। जी हाँ ,एक बच्चे ने अपनी ज़िद न पूरी होने के कारण, अपनी ज़िन्दगी को ही अधूरा छोड़ दिया और मौत को गले लगा लिया।

दरसल, गाजियाबाद के इंदिरापुरम थाना क्षेत्र में स्थित आदित्य मेगा सिटी सोसायटी के एक फ्लैट में नाबाल‍िग बच्चे ने अपनी ज़िद पूरी न होने के कारण फांसी लगाकर आत्महत्या (Suicide) कर ली। अब ज़रा आप भी जान लीजिये कि आखिर उसकी ऐसी क्या ज़िद रही होगी जिसके पूरा न होने पर उस बच्चे ने अपनी ज़िन्दगी खत्म कर ली। बताया जा रहा है कि पिछले कई दिनों से बच्चा अपने माता पिता से बिल्ली के बच्चे को पालने की ज़िद कर रहा था। जब बच्चे के माता पिता ने उसकी बात नहीं मानी तो वो गुस्सा हो गया और अपने कमरे में जाकर अंदर से दरवाजा बंद कर लिया। उसके परिजन जब उसे बुलाने गए तब उन्हें अंदर से कोई आवाज़ सुनाई नहीं पड़ी । परिजनों ने दरवाजा खोलने की काफी कोशिश की लेकिन दरवाजा नहीं खुला तो खिड़की से झांक कर देखा। तब उन्हें पता चला कि बच्चे ने फांसी के फंदे पर लटककर आत्महत्या कर ली है । आत्महत्या की सूचना मिलते ही मौके पर पुलिस पहुँच गयी। पुलिस ने बच्चे के शव को कब्जे में लेकर पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया है।

अब आप खुद सोचिये कि ऐसी भी क्या ज़िद थी जिसके पूरा न होने पर बच्चे ने ऐसा भयानक कदम उठा लिया,काश ये सब करने से पहले एक बार उसने अपने परिजनों के बारे में सोचा होता। ज़िद्दी बच्चों को संभालने का सबसे अच्छा तरीका ये है कि जब वो ज़िद पूरी न होने पर बुरा बर्ताव करें,तब आप उनके बुरे बर्ताव पर किसी भी तरह की प्रतिक्रिया ना दें। जब वो अच्छे से या सलीके के साथ पेश आएं तब आप उनके अच्छे बर्ताव की हमेशा तारीफ करें। जब बच्चा आपसे अपनी बात मनवाने के लिए ज़िद करने लग जाये तो आप उस पर चिल्लाइये नहीं और न ही उन्हें बीच में टोकें ,बस शान्ति से उनकी बात सुने और जब वो शांत हो जाए तब प्यार से अपने पास बैठकर उन्हें समझाये की वो जिस चीज़ की जिद कर रहे हैं वो ठीक नहीं है या फिर आप किस मज़बूरी की वजह से उनकी ज़िद पूरी नहीं कर सकते। क्यूँकि ज़िन्दगी बहुत अनमोल चीज़ है जिसका मोल बच्चों को समझना बेहद ज़रूरी हैं।

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