मुख्य न्यायाधीश एनवी रमना की एक विशेष पीठ ने राज्य सरकार से जमानत रद्द करने की मांग वाली याचिका पर जवाब दाखिल करने को कहा और निर्देश दिया कि मामले में गवाहों को सुरक्षा दी जाए।

बुधवार को सुप्रीम कोर्ट ने लखीमपुर खीरी जिले में चार किसानों की मौत के मामले में गिरफ्तार केंद्रीय मंत्री अजय मिश्रा टेनी के बेटे आशीष मिश्रा की जमानत रद्द करने की मांग वाली याचिका पर उत्तर प्रदेश सरकार को नोटिस जारी किया। बीते महीने आशीष मिश्रा को इलाहाबाद हाईकोर्ट ने जमानत दे दी थी।

मंत्री पुत्र आशीष मिश्रा लखीमपुर खीरी मामले में मुख्य आरोपी हैं। मंत्री पुत्र पर आरोप है की उन्होंने कथित तौर पर अपनी कार से 4 किसानों को कुचल दिया था। मंत्री पुत्र के द्वारा कार चढ़ाने के बाद किसानों के विरोध के बीच हिंसा भड़क उठी। किसानों की मौत के बाद हुई हिंसा में कुल आठ लोग मारे गए – तीन भाजपा कार्यकर्ता और एक पत्रकार भी शामिल है।

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सुप्रीम कोर्ट, हिंसा में मारे गए किसानों के परिवार के सदस्यों द्वारा दायर एक याचिका पर आज सुनवाई कर रहा है। किसानों के परिजनों ने बीते महीने के 10 फरवरी के जमानत आदेश पर रोक लगाने की मांग कर रहे हैं। इस आधार पर कि फैसला ‘कानून की नजर में अस्थिर था क्योंकि इस मामले में राज्य द्वारा अदालत को कोई सार्थक और प्रभावी सहायता नहीं मिली है।’

बीते महीने की 10 फरवरी को इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ पीठ ने जमानत अर्जी पर सुनवाई करते हुए आशीष मिश्र मोनू की जमानत अर्जी सशर्त मंजूर कर ली थी। लेकिन जमानत आदेश में धारा 302 और 120 बी का जिक्र नहीं था। लिहाजा 11 फरवरी को आशीष मिश्र के वकील ने जमानत आदेश में सुधार की अदालत में अर्जी लगाई थी, जिसके बाद 14 फरवरी को हाईकोर्ट ने मामले में सुनवाई करते हुए जमानत आदेश में हत्या व साजिश की धाराएं जोड़ने का आदेश दिया था। हाईकोर्ट के आदेश के बाद आशीष मिश्र को जमानत का आदेश 14 फरवरी को जिला जज अदालत में पेश हुआ था। इसके बाद जेल प्रशासन ने आशीष मिश्र मोनू को रिहा कर दिया था।

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