Uttrakhand Politics: उत्तराखंड में बीजेपी ने विधानसभा चुनाव में जिस तरह से पूर्ण बहुमत से जीत हासिल की है इस सफलता ने कांग्रेस के खेमे में मायूसी कायम कर दी है। पार्टी को अब सत्ता पक्ष के विरुद्ध आवाज बुलंद करने के लिए छोटे-छोटे दलों का सहारा लेना पड़ रहा है। पार्टी को उम्मीद है कि सरकार के खिलाफ विरोध प्रदर्शन में संयुक्त विपक्ष के माध्यम से आक्रमण को धार दी जा सकेगी। इसके बावजूद कांग्रेस को अभी बसपा को अपने खेमे में लाने में सफलता नहीं मिल पाई है।

चौथी और पांचवीं विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को भाजपा के हाथों बुरी तरह मात मिली है। पार्टी के मनोबल पर इसका बुरा असर पड़ा है। हालत यह है कि पार्टी को आगे बढ़ाने और जनता में पैठ जमाने का रास्ता भी नहीं मिल रहा है। कांग्रेस के ही वरिष्ठ नेता अब भी हार को लेकर एक दूसरे पर ठीकरा फोड़ रहे हैं।

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संयुक्त विपक्षी मोर्चा बनाने की कांग्रेस की मुहिम अधूरी होने की ये है वजह

प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष करण मेहरा की अध्यक्षता में गठित सर्वदलीय समिति में क्षेत्रीय दल उक्रांद शामिल नहीं है। वहीं विधानसभा में 2 विधायकों वाली बसपा भी सर्वदलीय समिति का हिस्सा नहीं बनी है। बसपा का साथ मिले बगैर संयुक्त विपक्षी मोर्चा बनाने की कांग्रेस की मुहिम अधूरी मानी जा रही है प्रदेश में कभी बड़ा जनाधार रखने वाली कांग्रेस को अब सर्वदलीय मोर्चे की आवश्यकता पड़ रही है।दरअसल कांग्रेस के रणनीतिकारों का मानना है कि विपक्षी दलों में बिखराव का सीधा लाभ सत्तारूढ़ बीजेपी को हो रहा है।

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