GLA: जीएलए फार्मेसी के रिसर्च स्कॉलर ने मरीज की सुविधा के लिए किया रिसर्च, पेटेंट पब्लिश मथुरा। दो से तीन या उससे अधिक की दवाईयों की खुराक की आवृति को कम करने के लिए जीएलए विष्वविद्यालय, मथुरा के इंस्टीट्यूट ऑफ फार्मास्युटिकल रिसर्च के रिसर्च स्कॉलर ने प्राकृतिक श्रोत के माध्यम से एक रिसर्च किया है। इस रिसर्च में मरीजों को दी जाने वाली खुराक की आवृति पर एक ‘एक्सटेंड रिलीज टेबलेट‘ को तैयार किया है। रिसर्च का पेटेंट पब्लिश भी हो चुका है।

इंस्टीट्यूट ऑफ फार्मास्युटिकल रिसर्च विभाग के रिसर्च स्कॉलर (पीएचडी) छात्र गणेषलाल ने एक लंबी समयावधि में प्राकृतिक श्रोत में नेचुरल रिसर्च कर एक एक्सटेंड रिलीज टेबलेट तैयार की है। इस टेबलेट को बनाने को उन्होंने कई पदार्थों के मिश्रण का प्रयोग किया है। इसका भी ध्यान रखा गया है कि टेबलेट में कोई भी ऐसा पदार्थ अधिक मात्रा में न हो जाए, जिससे मरीज को लेने के बाद लाभ मिलने की जगह परेशानी हो।

रिसर्च स्कॉलर गणेषलाल ने अपने रिसर्च के बारे में जानकारी देते हुए बताया कि मरीज की दवा की खुराक की आवृति को कम करने पर काफी कार्य किया है। यह रिसर्च उन मरीजों के लिए काफी लाभदायी सिद्ध होगा, जो कि बाहरी कार्य को षिथिलता के साथ करने के दौरान दवा लेने का ध्यान नहीं रख पाते या फिर जिन मरीजों को बार-बार उठने में परेषानी होती है। इसलिए एसिक्लोफेनाक, एचपीएमसी के 100, ग्वार गम, चिटोसन, लैक्टोज, मैग्नीशियम आदि के मिश्रण के माध्यम से इस टेबलेट को तैयार किया है।

रिसर्चर ने बताया कि इस रिसर्च को प्राकृतिक श्रोत के माध्यम से निकाले गए म्यूसिलेज के माध्यम से टेबलेट को तैयार किया गया है। हालांकि इस टेबलेट के मिश्रण के बाद बीमारियों की टेबलेट एमजी अधिक बढ़ जाएगी, लेकिन मरीज को खाने के बाद परेषानी नहीं होगी। क्योंकि इसमें जिस म्यूसिलेज का प्रयोग किया गया, उससे वह एमजी को कंट्रोल करेगा और अंदर ही धीमे-धीमे एमजी के असर को बीमारी को खत्म करने के लिए प्रवाहित होगा। उन्होंने बताया कि यह रिसर्च विभागाध्यक्ष प्रो. मीनाक्षी वाजपेयी के दिषा-निर्देषन सफल हुआ है।

विभागाध्यक्ष प्रो. मीनाक्षी वाजपेयी ने बताया कि इस टेबलेट को दवाईयां तैयार करने वाली कंपनियां दवा तैयार करने के दौरान मिश्रण करेंगी। अब दवा बनाने वाली कंपनियों के लिए यह एक आसान और सस्ता विकल्प होगा। जिससे टेबलेट की रिलीज को लंबे समय तक एक समान अवस्था में रखा जा सकेगा। फार्मेसी विभाग के रिसर्चर ने मरीजों की सुविधा को देखते हुए यह रिसर्च किया है। यह रिसर्च स्कोपस में भी पब्लिश हुआ है। साथ ही इसका पेटेंट पब्लिश हुआ है।

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डीन रिसर्च प्रो. कमल शर्मा ने बताया कि अब दिन प्रतिदिन बेहतर रिसर्च की ओर विष्वविद्यालय बढ़ रहा है। एक से बढ़कर रिसर्च नए रिसर्चों को जन्म दे रहा है। इससे आधुनिकता को तो बढ़ावा मिल ही रहा है, बल्कि विभिन्न प्रोटोटाइपों के माध्यम से नए उद्यमी भी तैयार हो रहे हैं और विष्वविद्यालय अपने छात्रों को रिसर्च के प्रति प्रेरित कर रहा है।

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