जीएलए विश्वविद्यालय, मथुरा के प्रबंधन संकाय में पिछले दिनों 2022-23 सत्र के लिये प्रस्तुत हुये बजट के भारतीय अर्थव्यवस्था, उद्योग जगत और जन सामान्य को मिलने वाले लाभ और पढ़ने वाले संभावित प्रभावों पर परिचर्चा हेतु एक संगोष्ठी का आयोजन किया गया, जिसमें देशभर से विषय विशेषज्ञों ने अपने विचार रखे। संगोष्ठी का शुभारंभ संकाय निदेशक प्रो. अनुराग सिंह द्वारा अतिथियों का स्वागत एवं विषय प्रवर्तन कर किया गया। अपने विचार रखते हुये केन्द्रीय अप्रत्यक्ष कर बोर्ड के मुख्य लेखा नियंत्रक डॉ. संजीव मिश्रा ने कहा कि बजट से उद्योग जगत, वेतन भोगी वर्ग और जनसामान्य को अपने लिये खासी उम्मीदे रहती हैं। कोविट सकट ने विश्व भर की अर्थव्यवस्थाओं पर चोट पहुंचाई है। ऐसे में मौजूदा वृहद आर्थिक बाधाओं एवं कोविड संकट से जूझ रही अर्थव्यवस्था को संभालने हेतु इस बजट को संतुलित व प्रगतिशील बजट कहा जा सकता है।

लनादु एवं पुंदुचेरी के आयकर महानिदेशक (जांच) आईआरएस सुनील माथुर ने वृहद आर्थिक मानको, स्टार्टअप और यूनिकोस एवं बाजार में आये आईपीओ के आंकड़ों के माध्यम से समझाने का प्रयास किया कि अर्थव्यवस्था पर कोरोना संकट के कारण आये संकुचन का प्रभाव कम हुआ है। सरकार के विभिन्न प्रयासों के माध्यम से हालात न केवल नियंत्रण में आये है, बल्कि चीजें बेहतर होती दिख रही है। उन्होंने कहा कि इस बजट के दूरगामी परिणाम अच्छे होंगे।

सुनील पंत (स्वतंत्र निदेशक गजनफर बैंक काबुल और आईसीएआई के भारतीय दिवाला पेशेवर संस्थान (आइआइआइपीआइ) के पूर्व सीईओ ने बैंकिंग क्षेत्र पर बजट के प्रभाव पर प्रकाश डाला। उन्होंने इस बात को रेखांकित किया कि पूंजीगत व्यय किसी भी उभरती अर्थव्यवस्था के विकास के लिए एक खासा महत्व रखते हैं। उन्होंने अपने वक्तव्य में भारतीय बैंकिंग में गैर-निष्पादित परिसंपत्तियों और तनावग्रस्त परिसंपत्तियों के मुद्दे का भी विश्लेषण करते हुये कहा कि इस और सुधारात्मक कार्रवाई और सतत प्रयासों की महती आवश्यकता है। घरेलू बाजार की खपत के लिए सरकार की पिता को भी उन्होंने अपने वक्तव्य में रेखांकित किया।

बेंगलुरु डॉ. अम्बेडकर स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स यूनिवर्सिटी (बैस यूनिवर्सिटी) के कुलपति प्रोफेसर भानुमूर्ति ने बजट के मूल तत्वों, अर्थव्यवस्था के लिए बजट के महत्व और बड़े पैमाने पर आम लोगों के लिए बजट में देखने योग्य पहलुओं पर अपने विचार रखे। उन्होंने आर्थिक विकास के लिए सार्वजनिक व्यय के महत्व पर भी प्रकाश डाला और साथ ही कहा कि भारत जैसी अर्थव्यवस्था में सभी के लिये आवास के प्रयास प्रशंसनीय है। ट्रेट के सह-संस्थापक संदीप जैन ने आर्थिक विकास पर प्रकाश डाला। जीएलए के चीफ फाइनेंस ऑफीसर एवं एनके ग्रुप के निदेशक विवेक अग्रवाल ने भारतीय अर्थव्यवस्था में रियल एस्टेट क्षेत्र की भूमिका का विश्लेषण किया। उन्होंने रियल एस्टेट क्षेत्र पर महामारी के प्रभाव पर प्रकाश डालते हुये

इस क्षेत्र को संभालने एवं आगे बढ़ाने हेतु सरकार से समावित सहयोग पर बात की। उन्होंने भी बजट को एक प्रगतिशील बजट के रूप में सराहा। संगोष्ठी के दौरान विद्यार्थियों द्वारा वक्ताओं से सवाल भी किये गए संगोष्ठी में मॉडरेटर की भूमिका डॉ. सवेन्द्र यादव व डॉ अंकित सक्सेना द्वारा निभाई गयी देविका अग्रवाल उद्घोषक की भूमिका में रही। कार्यक्रम के सफल संचालन में प्रदान संकाय के विभागाध्यक्ष प्रो. विकास त्रिपाठी एवं प्रो सोमेश मीजा . मी डॉ. उत्कल खण्डेलवाल समेत सभी विभागीय शिक्षक-शिक्षिकाओं ने अपना सहयोग दिया।

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