डीएनपी डेस्क: दिल्ली के नॉर्थ एमसीडी स्कूलों में पढ़ने वाले तीन लाख से ज्यादा बच्चों का भविष्य अंधेरे में लटकने लगा है. इसके पीछे की वजह हैरान कर देने वाली है. एक तरफ दिल्ली की आम आदमी पार्टी सरकार जहां स्कूलों में बेहतर पठन-पाठन की बात करती है वहीं दूसरी तरफ सात हजार से ज्यादा शिक्षकों को 3 महीने से वेतन नहीं मिला है. लिहाजा इसके चलते शिक्षकों ने बच्चों को पढ़ाना बंद कर दिया है. गौरतलब दिल्ली सरकार के द्वारा स्कूलों में शिक्षकों को ऑनलाइन क्लास के संचालन के लिए टैब दिए गए हैं, लेकिन अब तक ये शिक्षक खुद के मोबाइल फोन या अपने संसाधनों से ही बच्चों को पढ़ा रहे थे. बता दें कि मिली जानकारी के मुताबिक बच्चों को वर्चुअल पढ़ाई मिलना ना के बराबर हो गया है. शिक्षकों ने वेतन ना मिलने की वजह से वर्चुअल पढ़ाई ठप कर दी है. इतना ही नहीं शिक्षकों ने कहा है कि अगर सरकार मांगें न मानती है तो स्कूल खुलते ही तालाबंदी कर दी जाएगी.

यह भी पढ़ें: बच्चों के पाठ्यक्रम में वेदों का ज्ञान को शामिल करने को लेकर संसदीय समिति ने की सिफारिश

आपको बता दें कि करोल बाग जोन की एक शिक्षिका ने हाल-ए-दर्द बताते हुए कही कि उन्हें 3 महीने से विभाग के द्वारा सैलरी नहीं दी गई. लिहाजा पैसों के कारण स्थिति ऐसी हो गई है कि लोन की किस्तें चुका पाना मुश्किल हो गया है. इतना ही नहीं पैसे ना होने की वजह से एक बच्चे का नामांकन प्राइवेट स्कूल से सरकारी स्कूल में करवाना पड़ा है. शिक्षिका की पति टेनिस कोच हैं लेकिन एकेडमी बंद होने की वजह से वह 2 साल से घर पर ही हैं. ऐसे में उनके लिए परिवार का चलाना और बच्चों का पालन पोषण करना मुश्किल होता जा रहा है.

यह भी पढ़ें: मध्य प्रदेश में बजा पंचायत चुनाव का बिगुल, जानें कब है आपके पंचायत में चुनाव और कब होंगे नामांकन

नरेला के स्कूल में कार्यरत अध्यापक पवन कुमार ने अपनी बात रखते हुए कहा कि हमारे अब तक लगभग 6 से 7 लाख रुपए अटका पड़ा है. उन्होंने बताया कि स्थिति ऐसी हो गई है कि बाजार में उधार सामान मिलना भी मुश्किल हो गया है. इसके बाद भी सरकार शिक्षकों पर ध्यान नहीं दे रही है. जिसके चलते शिक्षकों में सरकार के प्रति रोष व्याप्त होना लाजमी है.

देश और दुनिया की तमाम खबरों के लिए हमारा YouTube Channel ‘DNP INDIA’ को अभी subscribe करें।आप हमें FACEBOOKINSTAGRAM और TWITTER पर भी फॉलो पर सकते हैं.

Share.

Rupesh Ranjan is an Indian journalist. These days he is working as a Independent journalist. He has worked as a sub-editor in News Nation. Apart from this, he has experience of working in many national news channels.

Exit mobile version