बॉर्डरलाइन पर्सनैलिटी डिसऑर्डर :

बॉर्डरलाइन पर्सनैलिटी डिसॉर्डर (बीपीडी) एक प्रकार का मानसिक रोग है। एक अच्छे सामान्य व्यक्ति के दिमाग पलट जाता है जिसे डिप्रेशन कहते हैं। सामान्य लक्षणों की वजह से अकसर इसकी पहचान और सही उपचार में देरी हो जाती है। बीपीडी के उपचार में समाज और परिवार की भी खास भूमिका होती है। 

इसका इलाज सिर्फ दवाइयों से नहीं बल्कि भावनाओं  होता है।

ऐसी क्रियाएं जो इसके लक्षण को प्रदर्शित करती हैं:

पल-पल में मूड स्विंग होता है, हर छोटा मसला बहुत बड़ा महसूस होता है, कुछ खतरा सा महसूस होता है, रिश्ते बहुत तेजी से बनते-बिगड़ते हैं, खुद को किसी से जुड़ा हुआ नहीं पाते। व्यक्ति का दिमाग स्थिर नहीं हो पाता है इधर-उधर भटकता रहता है वह उलझन में हो जाता है। ये बीमारी आमतौर पर वयस्क में ज़्यादा पायी जाती है। कुछ बातें जो उसके दिमाग में बैठ जाती हैं और उसे अपनी छवि खराब होने का खतरा रहता है।

कारण :

यह बॉर्डरलाइन पर्सनैलिटी डिसऑर्डर के लक्षण हैं। वैसे ये लक्षण कभी-कभार सबमें दिखाई दे जाते हैं, पर बीडीपी से पीड़ित लोगों में यह व्यवहार बहुत बढ़ जाता है। ज्यादातर समय मरीज बेहद परेशान रहने लगता है।  यह व्यक्ति के दिमाग, छवि और व्यवहार में तेजी से बदलाव आने की दिक्कतों से जुड़ी मानसिक समस्या है। उपचार में देरी किए जाने से बीपीडी की समस्या बढ़ सकती है। ऐसे लोग छोटी – छोटी बातों पर प्रतिक्रिया देने लगते हैं और उनको शांत होने में काफी समय लगता है।

 इलाज भी है संभव:

बी पी डी के साथ अगर रोगी को कोई और भी समस्या है तो साथ में उसका इलाज भी किया जाता है इसके लिए एक थेरेपी का उपयोग किया जाता है उस पर भी का नाम है – साइको थेरेपी।

साइकोथेरपी को बीपीडी का मुख्य उपचार माना जाता है। व्यक्ति के व्यवहार और गलत धारणाओं को पहचानने और बदलने में सीबीटी इलाज को प्रभावी विधि माना जाता है। इसके अंतर्गत बताया जाता है कि गुस्सा आने या चिंतित होने की अवस्था में आपको किस तरह से व्यवहार करना चाहिए। वहीं डीबीटी के माध्यम से सही व्यवहार को पहचानने और उनको प्रयोग में लाने के तरीकों के बारे मे बताया जाता है।  इसके अलावा स्केमा फोकस थैरपी के माध्यम से स्वयं और दुनिया को सकारात्मक दृष्टि से देखने के बारे में बताया और प्रोत्साहित किया जाता है।

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