सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली एनसीआर के प्रवासी मजदूरों के लिए सामुदायिक किचन खोलने के लिए दिल्ली, यूपी और हरियाणा (एनसीआर में आने वाले जिले) को आदेश दिया कि देशभर में लॉकडाउन लगने से प्रवासी मजदूरों के लिए यह आर्थिक संकट की घड़ी है। ये उनके लिए बहुत बड़ी मुसीबत है। ऐसे में सुप्रीम कोर्ट ने “कम्युनिटी किचन” खोलने का आदेश दिया है ताकि उन्हें दो वक्त की रोटी मिल सके और वह इस समस्या से थोड़ा सा उबर सकें और साथ ही साथ यह भी कहा कि जो मजदूर अपने पैतृक घर जाना चाहते हैं उनके लिए भी रेल मार्ग आदि की व्यवस्था की जाए। उन्हें वापस उनके घर भेजा जाए। उनके लिए ट्रांसपोर्ट की व्यवस्था की जाए। लॉकडाउन के दौरान प्रवासी मजदूरों ने जो अपनी नौकरियां खो दी हैं उन्हें अपना जीवन यापन करने में बहुत मुश्किलें आ रही हैं उनके लिए भोजन का इंतजाम किया जाए और उन्हें उनके घर वापस भेजने का इंतजाम किया जाए। प्रशासन और पुलिस इसमें सहयोग करें ताकि समस्या को जल्द से जल्द खत्म किया जाए।

मजदूरों के लिए ड्राई राशन कार्ड की व्यवस्था:

केंद्र सरकार और राज्य सरकार को आदेश दिया गया कि ड्राई राशन देने के लिए मजदूरों से पहचान पत्र की मांग ना की जाए और इनके लिए भारत स्कीम या अन्य स्कीम के अंतर्गत ड्राई राशन कार्ड मुहैया की व्यवस्था कराई जाए। इनसे किसी भी तरह का किराया ना वसूला जाए।

सुप्रीम कोर्ट ने कोरोना की दूसरी लहर को ध्यान में रखते हुए प्रवासी मजदूरों के जीवन यापन को गंभीरता से लिया है। किसी भी मजदूर के पास अगर राशन कार्ड ना हो तो उन्हें भी ड्राई राशन दिया जाए किसी को भी भोजन से वंचित न किया जाए। सरकार कम से कम 2 बार दिन में उन्हें भोजन प्रदान करें।

जस्टिस अशोक भूषण का बयान:

इस वार्तालाप के दौरान सुप्रीम कोर्ट के जज अशोक भूषण ने अंतिम आदेश पारित किया, यह कहा कि केंद्र और राज्य सरकार प्रवासी मजदूरों को ड्राई राशन मुहैया कराए। जो श्रमिक अपने घर लौटना चाहते हैं उनके लिए समुचित परिवहन की व्यवस्था की जाए।

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