28 जुलाई यानी कि आज के दिन पूरी दुनिया में वर्ल्ड हेपेटाइटिस डे मनाया जा रहा है इस दिन को मनाने के पीछे की खास बजाइए है कि लोगों को बीमारी के प्रति जागरूक करना। क्योंकि अगर लोगों को हेपेटाइटिस बी के बारे में पता नहीं चलेगा और वायरस की वजह से लीवर में इंफेक्शन हो जाएगा, कई गंभीर बीमारी से लोग पीड़ित हो सकते हैं जैसे लिवर कैंसर लीवर खराब होना और यहां तक की मौत का खतरा भी मंडराने लगेगा। ऐसे में आज के दिन हर जगह जगह पर कैंप लगाकर लोगों को जागरूक किया जाता है।

हेपेटाइटिस कई तरह के होते हैं और हर एक की वजह से शरीर को अलग-अलग समस्याएं होती हैं। हेपेटाइटिस की वजह से पूरी दुनिया में हर 30 सेकेंड में एक व्यक्ति की मौत होती है। इसकी गंभीरता को देखते हुए WHO ने इसे 2030 तक खत्म करने का लक्ष्य रखा है। ज्यादातर लोग वायरस हेपेटाइटिस से संक्रमित होते हैं लेकिन जानकारी के अभाव में इसके लक्षणों को नजरअंदाज कर देते हैं।

कितने प्रकार के होते हैं हेपेटाइटिस बी ?

हेपेटाइटिस बी दो तरह के होते हैं एक एक क्यूट तो दूसरा क्रॉनिक शुरुआत के 6 महीने में हेपेटाइटिस बी इंफेक्शन को एक क्यूट माना जाता है सही इलाज से ज्यादातर लोग इन 6 महीनों में ठीक हो जाते हैं अगर हेपिटाइटिस बी वायरस 6 महीने के बाद भी पॉजिटिव आता है तो यह लंबे समय तक रहने वाला में बदल जाता है इसकी वजह से लिवर सिरोसिस और लिवर कैंसर की संभावना बढ़ जाती है।

हेपेटाइटिस बी के लक्षण

एक्यूट हेपेटाइटिस आमतौर पर शुरुआती संक्रमण के लगभग 12 सप्ताह बाद होने वाले पीलिया से शुरू होता है। पीलिया के लक्षणों के अलावा मरीज को उल्टी, मिचली, पेट में दर्द और जोड़ों-मांसपेशियों में दर्द भी महसूस हो सकता है। वहीं क्रोनिक हेपेटाइटिस में मरीज को मरीज को उल्टी, भूख ना लगना, ज्यादा थकावट, पेट के ऊपर दाईं तरफ तेज दर्द और जोड़ों में दर्द जैसे लक्षण महसूस होते हैं।

हेपेटाइटिस बी एक वायरल इंफेक्शन है जो एक से दूसरे व्यक्ति के संपर्क में आने से फैलता है असुरक्षित यौन संबंध या संक्रमित व्यक्ति की किसी चीज का इस्तेमाल करने से दूसरे व्यक्ति में इसके फैलने की संभावना बढ़ जाती है संक्रमण मां से यह नवजात शिशु को भी हो सकता है हालांकि हेपिटाइटिस बी किस करने खांसी छतिया पर हाथ मिलाने से नहीं फैलता है। ब्लड टेस्ट किधर यह हेपेटाइटिस बी का पता लगाया जा सकता है

हेपेटाइटिस बी से बचाव-

हेपेटाइटिस बी से बचाव का सबसे कारगर तरीका इसकी वैक्सीन लगवाना है। ये सुरक्षित होने के साथ-साथ काफी असरदार होती है। अगर आपने इसकी वैक्सीन नहीं लगवाई है और आप इस वायरस के संपर्क में आ गए हैं तो आपको तुरंत डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए. डॉक्टर आपको एंटीबॉडीज के लिए इम्युनोग्लोब्युलिन का इंजेक्शन दे सकते हैं। इससे इंफेक्शन शरीर में फैलने से रोका जा सकता है।

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