उत्तर प्रदेश की राजनीति अक्सर धर्म और जाति के इर्द-गिर्द घूमती रहती है। इस वक्त रमजान का महीना चल रहा है, कुछ ही दिनों बाद ईद का त्यौहार आने वाला है। उत्तर प्रदेश में दावत-ए-इफ्तार (Dawat-e-Iftar) (Iftar Party) ने नई सियायत को जन्म दे दिया है। समाजवादी पार्टी मुसलमानों से दूरी बना रही है जैसी अटकलों के बीच सपा प्रमुख अखिलेश बीते कई दिनों से लगातार कई इफ्तार पार्टियों में शिरक्त कर रहे हैं। कहा जा रहा है कि इन इफ्तार पार्टी (Iftar PartY) के जरिए अखिलेश मुसलमानों को संदेश देना चाहते हैं कि वो उनके साथ खड़े हैं।
फिलहाल अखिलेश के तेवर बदले बदले दिखाई दे रहे हैं, लगातार दावत-ए-इफ्तार (Dawat-e-Iftar) जाने के साथ-साथ वो इससे जुड़ी तस्वीरें भी सोशल मीडिया पर साझा कर रहे हैं। उनके इस तरह इफ्तार पार्टी (Iftar Party) एटेंड करने से राज्य की राजनीति में ये चर्चा शुरू हो गई है कि क्या अखिलेश मुसलमानों के साथ खड़े होने की कोशिश कर रहे हैं।
इस बीच अखिलेश यादव ने ट्विटर पर इफ्तार में शामिल होने की तस्वीर शेयर की तो लोग तरह-तरह के कमेंट करने लगे। कुछ लोगों ने अखिलेश यादव की तारीफ की तो कुछ लोग ने तंज कसा है।
इफ्तार में शामिल होने की दो तस्वीरों को शेयर करते हुए समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव ने ट्विटर पर लिखा कि “रोजा-इफ्तार।” अखिलेश यादव के इस ट्वीट पर लोग अपनी प्रतिक्रियाएं दे रहे हैं। योगी आदित्यनाथ की जमीन पर बैठकर खाना खाने की तस्वीर शेयर करते हुए मयंक गुप्ता नाम के यूजर ने लिखा कि “काश कुछ योगी जी से सीख पाते अखिलेश, पर अफसोस तुम कुछ न सीख पाए।’
दरअसल, सीतापुर जेल में बंद सपा के वरिष्ठ नेता आजम खान को लेकर हाल ही में चली चर्चा और उनके समर्थकों के साथ ही पार्टी के दूसरे वरिष्ठ नेताओं के जाहिर किए गए असंतोष के बाद से ही मुद्दा गर्मा गया है। ये असंतोष खासतौर से अखिलेश यादव के नेतृत्व वाली सपा के लिए दिखाई दे रहा है। साथ ही कहा जा रहा है कि ये समुदाय अब नए राजनीतिक विकल्पों के साथ ही भविष्य के बारे में विचार कर रहा है।
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