दुनिया में रहने वालों के लिए सांस लेना मुश्किल होता जा रहा है। लगातार बढ़ते प्रदूषण से लोगों को कई तरह की बीमारियां हो रही हैं। इस बीच एक ऐसी रिपोर्ट सामने आयी है। जिसने सभी को सोचने पर मजबूर कर दिया है।

हवा नहीं जहर है

विश्‍व स्‍वास्‍थ्‍य संगठन ने भी वायु प्रदूषण को लेकर खतरे की घंटी बजा दी है।  वायु प्रदूषण को रोकने के लिए 34 फीसद देशों में कोई जरूरी कानून नहीं है। महज 33 फीसद मुल्‍कों ने वायु गुणवत्‍ता के मानको को पूरा करने संबंधी दायित्‍वों को लागू किया है। पर्यावरणविद विजय बघेल का कहना है कि, दुनिया में लोगों का सांस लेना मुश्किल होता जा रहा है।  संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम द्वारा वायु गुणवत्ता कानूनों और नियमों पर जारी एक नई रिपोर्ट में सामने आई है। जिसमें कई चौंकाने वाले खुलासे किए गए हैं। दुनिया मे बढ़ते प्रदूषण के कारण लोगों की उम्र घटती जा रही है। 94 देशों और यूरोपिय यूनियन में वायु गुणवत्‍ता संबंधी नियमों और कानूनों की जांच की गई है। जिसमें ये खुलासा हुआ है। पेड़ों की संख्या कम होने और खासकर वायु प्रदूषण में इजाफा होने से देश दुनिया के करोड़ों लोगों के जीवन पर खतरनाक प्रभाव पड़ रहा है।

भारत की क्या है हालत?

भारत की अगर अगर बात करें तो दिल्ली में ये प्रदूषण की स्थिति इतनी खराब हो चुकी है कि, 10 साल लोगों की उम्र कम होती जा रही है। आपको जानकर हैरानी होगी कि, हर साल होने वाली दस हजार से लेकर तीस हजार मौतों के लिए यहां का वायु प्रदूषण जिम्मेदार है। दिल्ली सहित भारत के अन्य हिस्सों में  प्रदूषण लगातार बढ़ता जा रहा है। जिसके कारण नई-नई बीमारियां फैलती जा रही हैं।

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आरोही डीएनपी इंडिया में मनी, देश, राजनीति , सहित कई कैटेगिरी पर लिखती हैं। लेकिन कुछ समय से आरोही अपनी विशेष रूचि के चलते ओटो और टेक जैसे महत्वपूर्ण विषयों की जानकारी लोगों तक पहुंचा रही हैं, इन्होंने अपनी पत्रकारिका की पढ़ाई पीटीयू यूनिवर्सिटी से पूर्ण की है और लंबे समय से अलग-अलग विषयों की महत्वपूर्ण खबरें लोगों तक पहुंचा रही हैं।

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