अमेरिका की फेडरल ब्यूरो ऑफ इन्वेस्टिकेशन (एफबीआई) ने जासूसी स्पाईवेयर साफ्टवेयर पेगासस ख़रीदने की बात को क़बूल किया है। इस बात की पुष्टि खुद एफबीआई ने की है। हालांकि एफबीआई ने यह कह कर अपना बचाव किया कि पेगासस खरीदने के पीछे उसकी मंशा ”उभरती प्रौद्योगिकियों के साथ कदम से कदम मिलाकर चलना है।

आज यानी गुरुवार को खूद फेडरल ब्यूरो ऑफ इन्वेस्टिकेशन (एफबीआई) ने मीडिया को जानकारी देते हुए बताया कि उसने एनएसओ ग्रुप से स्पाइवेयर सॉफ्टवेयर ‘पेगासस’ खरीदा है। एफबीआई ने अपना बचाव करते हुए अपनी दलील दी कि उसने इजराइल की कम्पनी से ”केवल उत्पाद परीक्षण और मूल्यांकन के लिए” एक सीमित लाइसेंस प्राप्त किया था और कभी भी किसी भी जांच के लिए इसका कोई भी उपयोग नहीं किया है। लेकिन एफबीआई पर आरोप हैं कि इसका इस्तेमाल देश दुनिया के पत्रकारों, विरोधियों और मानवाधिकार कार्यकर्ताओं पर नजर रखने के लिए लंबे समय से इस स्पाई वेयर सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल किया जा रहा है। जिसके बाद एफबीआई ने खुद को पाक साफ़ करने के लिए कहा कि ‘पेगासस’ खरीदने के पीछे उसकी मंशा ”उभरती प्रौद्योगिकियों के साथ कदम से क़दम मिलाकर चलना है। लेकिन ग़ौर करने वाली बात है क़ी एफबीआई के प्रवक्ता ने यह बताना ज़रूरी नहीं समझा कि एफबीआई ने एनएसओ समूह को कितना भुगतान किया या कब भुगतान किया। वही ‘द न्यूयॉर्क टाइम्स ने पिछले सप्ताह एक खबर में दावा किया था कि 2019 में इसके परीक्षण के लिए एफबीआई ने 50 लाख डॉलर का भुगतान कर एक साल का लाइसेंस प्राप्त किया था।

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