सरकार ने सोमवार को निजी क्षेत्र को शामिल करके ब्राउनफील्ड परियोजनाओं में मूल्य अनलॉक करने के लिए 6 लाख करोड़ रुपये की चार साल की राष्ट्रीय मुद्रीकरण पाइपलाइन (एनएमपी) का अनावरण किया। उन्होंने संपत्तियों को लेकर अधिकार हस्तांतरित करने की बात कही स्वामित्व देने की नहीं। मतलब सरकार सरकारी संपत्तियों को एक तरीके से किराए पर देगी। सरकारी संपत्तियों को बेचेगी नहीं। और इस प्रक्रिया से जो भी धन इकट्ठा होगा उसे देश के जरूरी विकास कार्यों में लगाया जाएगा। सरकार का राष्ट्रीय मुद्रीकरण पाइपलाइन रणनीति ने  6 लाख करोड़ रुपये का इकट्ठा करने का लक्ष्य है।

कैसे कमाएगी सरकार इतना पैसा

राष्ट्रीय मुद्रीकरण पाइपलाइन रणनीति के तहत सरकार ने  6 लाख करोड़ रुपये का इकट्ठा करने का लक्ष्य है। सरकार ने साल 2025 तक सरकारी संपत्तियों को बेचने का फैसला लिया था लेकिन इस योजना में एक ट्विस्ट है। पहले ये जानकारी सामने आई थी कि केंद्र सरकार घाटे में चल रही सार्वजनिक कंपनियों को बेच रही थी। लेकिन सरकार ने  एयरपोर्ट, गैस पाइपलाइन,बिजली, गोदाम,रेल, सड़क, स्टेडियम यानी कुल मिलाकर बुनियादी क्षेत्र की परियोजनाएं को कुछ सीमित समय के लिए निजी क्षेत्रों के हाथों में दे दिया जाएगा। सीधे सरल शब्दों में कहा जाए तो सरकार इन संपत्तियों को किराए पर देगी और मोटी रकम वसूल करेगी। गौर करने वाली बात ये है कि सरकार प्रोजेक्ट के तहत अधिकार का हस्तांतरित करेगी लेकिन निजी हाथों में स्वामित्व नहीं देगी। कुछ सालों बाद सरकार दोबारा संपत्तियों की बागडोर अपने हाथों में ले लेगी।

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क्या है मोनेटाइजेशन का सरल अर्थ

मोनेटाइजेशन का सरल अर्थ है पैसा बनाना या पैसा कमाना। यानी सरकार विकास कार्यों को करने के लिए और राजस्व घाटे से उभरने के लिए सरकारी संपत्तियों के जरिए पैसा कमाएगी। सरकार ने नीति आयोग को जिम्मा सौंपा है कि वो  एसेट मोनेटाइजेशन की रिपोर्ट तैयार करे।नीति आयोग ने  मंत्रालयों के साथ सलाहकर इन संपत्तियों की लिस्ट तैयार की है जिससे भविष्य में पैसा कमाने की पूरी उम्मीद है।

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