हमारे देश में महिलाओं को उनका हक़ दिलाने के लिए..या उन्हें घरेलू प्रताड़ना और अत्याचार से बचाने के लिए हमारे देश में बहुत से कानून बनाएं गए हैं..जो कि बहुत ही अच्छी बात है.. दोस्तों,जैसा कि हम सब जानते हैं कि महिलाओं की सुरक्षा के लिए उन्हें जो क़ानूनी अधिकार मुहैया करवाए गए हैं वो बहुत ही ज़रूरी थे क्यूंकि इससे महिलाओं पर अत्याचार होने कम हुए हैं..लेकिन, अब यही क़ानूनी अधिकारों का कुछ महिलाये गलत इस्तेमाल करती हैं और हम ऐसे कई केस देख चुके हैं। महिलाओं की सुरक्षा के लिए बने कानून कई मामलों में पुरुषों के लिए प्रताड़ना की वजह बन रहे हैं। यह बात हम नहीं बल्कि फैमिली काउंसलिंग बोर्ड व अन्य सलाह केंद्रों पर आने वाली शिकायतों का पैटर्न कहता है। यहां शिकायत करने वालों में 40 फीसदी पुरुष होते हैं। पुलिस भी मानती है कि महिला प्रताड़ना की शिकायत के कई मामलों में पुरुष दोषी नहीं होते, फिर भी कानूनी दबाव के कारण उन्हें शिकायतें लेनी पड़ रही हैं। महिलाएं अधिकार को बदला लेने का हथियार बना रही हैं। महिलाओं के अधिकारों की रक्षा और उन्हें न्याय दिलाने के लिए बने कानून का दुरुपयोग भी लगातार बढ़ रहा है। पिछले कुछ महीनों में शहर में ऐसी घटनाएं सामने आई हैं, जिनमें महिलाओं ने झूठे केस में उलझाने का डर बताकर पुरुषों को प्रताड़ित किया है।

साल 2021 में ऐसे बहुत से केस हमें और आपको देखने और सुनने को मिले थे जिसमें पुरुषों की कोई गलती नहीं थी पर सिर्फ और सिर्फ लाइमलाइट में आने के लिए,मीडिया में छाने के लिए या यूँ कहे लीजिये सोशल मीडिया पर फेमस होने के लिए पुरुषों पर गलत इल्जाम लगाए। उदाहरण के लिए लखनऊ में हुआ कैब ड्राइवर का केस.. जिसमें प्रियदर्शनी नाम की एक लड़की ने बीच सड़क पर बेगुनाह कैब ड्राइवर को थप्पड़ मारा था और वो भी एक थप्पड़ नहीं..ना जाने कितने थप्पड़.. खेर,उस केस में लड़के यानी लॉ कैब ड्राइवर की जीत हुई प्रियदर्शनी की हार..क्यूंकि सारे सबूत प्रियदर्शनी के खिलाफ थे। उसके बाद जोमैटो बॉय का केस..जिसके ऊपर हितेषा चन्द्राणी नाम की महिला ने गलत आरोप लगाया था..बाद में जब पूरा केस खंगाला गया तो पता चला कि जोमैटो डिलीवरी बॉय इनोसेंट था.ये जस्ट एक पब्लिसिटी स्टंट था.

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यदि कोई महिला किसी पुरुष के खिलाफ गलत शिकायत दर्ज करवा दे तो पुरुष की बात नहीं सुनी जाती है। कई मामलों में पुलिस भी मानती है कि पुरुष दोषी नहीं है, लेकिन कानूनी दबाव के कारण पुलिस वालों को भी महिला की शिकायत लेना पड़ती है। नए कानून के तहत यदि वे महिला की शिकायत नहीं लिखते तो उन पर भी कार्रवाई हो सकती है। फैमिली काउंसलिंग सेंटर व शहर के कई काउंसलर्स के पास पिछले कुछ वर्षों में घरेलू हिंसा व प्रताड़ना के शिकार पुरुष ज्यादा पहुंच रहे हैं। इनमें 50 फीसदी पुरुष 35 साल से अधिक उम्र के हैं। पहले महिलाएं दहेज के केस की शिकायतें करती थीं। मगर रेप के जुड़े कानून में संशोधन के बाद पुलिस के पास रेप की शिकायतें ज्यादा पहुंच रही हैं।

समाज कल्याण विभाग के फैमिली काउंसलिंग बोर्ड के सामने पिछले दिनों एक विकलांग व्यक्ति ने शिकायत की कि उसकी पत्नी उस पर अत्याचार कर रही है। वह पत्नी की मर्जी बिना भाई-बहन व रिश्तेदारों से बात भी नहीं कर सकता। होली पर उसने भाई के बच्चे को रंग लगा दिया तो पत्नी ने उससे मारपीट की। पूरी कमाई भी पत्नी रखती है और घर के काम भी नहीं करती। आए दिन पुलिस से शिकायत करने की धमकी भी देती है। इसी तरह 62 वर्ष के एक बुजुर्ग कानून के डर से पिछले कई वर्षों से पत्नी की प्रताड़ना सह रहे थे। पत्नी ज्यादा कमाती थी, इस वजह से वह पति को गालियां तक देती थी और नीचा दिखाती थी। वह पति को जमीन पर सुलाती थी और कई बार लात से मारती थी । पति को अपना खाना भी खुद ही बनाना पड़ता था। काउंसलिंग के बाद दोनों अलग हो गए।

दोस्तों, अगर आप ऐसे किसी व्यक्ति को जानते हैं जो बिलकुल बेगुनाह है पर फिर भी महिलाओं की रक्षा के लिए बनाये गए कानून से डर रहा है या पुलिस से डर रहा है तो बिल्कुल डरने की ज़रूरत नहीं है ,बल्कि आप अपने ऊपर हो रहे अत्त्याचार को लेकर काउंसलर या वकील की मदद ले सकते हैं। क्यूंकि जानकारों का मानना है कि किसी लड़की या महिला द्वारा निर्दोष व्यक्ति के खिलाफ शिकायत करने पर पुरुष को डरकर कोई गलत कदम नहीं उठाना चाहिए। कई बार पुरुष सम्मान जाने के डर से अपनी परेशानी किसी से शेयर नहीं करते। ऐसे मामलों में उन्हें किसी वकील या काउंसलर की मदद लेनी चाहिए। इसके अलावा समाज कल्याण विभाग के फैमिली काउंसलिंग सेंटर पर जाकर भी व्यक्ति अपनी परेशानी बता सकता है।

women's right: महिलाओं के लिए बने कानूनों का दुरुपयोग, बर्बाद हुए ये लोग -  misuse of the laws enacted for women rights destroyed these families |  Navbharat Times

पिछले कुछ सालों में ऐसे भी मामले सामने आए हैं, जिनमें युवक-युवती लिव-इन रिलेशनशिप में रहते हैं। मगर उनके बीच कोई झगड़ा या मतभेद हो जाने पर युवती रेप का इल्जाम लगा देती है। ऐसे में युवक के पास बचाव के लिए कोई रास्ता नहीं रह जाता। ऐसे मामलों में पुलिस युवक को ही दोषी मान लेती है। घरेलू हिंसा के 10 में से 4 केस ऐसे होते हैं, जिसमें महिलाएं उन्हें मिले कानूनी अधिकार का दुरुपयोग करती हैं। ज्यादातर महिलाएं प्रॉपर्टी अपने नाम करवाने, सैलरी आधी लेने की बात पर झूठी शिकायतें करती हैं। कई महिलाओं द्वारा पुरुषों को मारने-पीटने की घटनाएं भी सामने आ रही हैं। ऐसे मामलों में पुरुषों को काउंसलिंग सेंटर, पारिवारिक परामर्श केंद्र में जाकर मदद लेनी चाहिए। न्याय सबके लिए बराबर होता है। इसमें किसी तरह का लिंग-भेद नहीं किया जाता। नए कानून में महिला हितों की रक्षा की गई है। अब भारतीय दंड संहिता 2013 में संशोधन के बाद संहिता 164 के तहत महिला के तत्काल कथन हो जाते हैं। ऐसे में आरोपी के बचने की संभावना कम रह जाती है। पुलिस इंवेस्टिगेशन के बाद ही केस दर्ज करती है। यदि किसी को लगता है कि उसकी बात थाने में नहीं सुनी, तो आईजी, डीआईजी और वरिष्ठ अधिकारियों को शिकायत कर सकता है। ऐसे केस को रिव्यू कर जांच पड़ताल की जा सकती है। इसलिए डरिये मत अपने खिलाफ हो रहे अत्याचार को लेकर आवाज़ उठाइये।

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