वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने इस साल का आम बजट 11:00 बजे पेश किया। वर्तमान समय में सैलरी टैक्सपेयर्स को 50 हजार रुपए का स्टैंडर्ड डिडक्शन मिलता है। जिसमें स्टैंडर्ड डिडक्शन में आखिरी बार 2019 में इजाफा किया गया था। सरकार ने इस को लेकर अब किसी तरह का ऐलान नहीं किया। इससे सैलरीड टैक्सपेयर को निराशा का मुंह देखना पड़ा। ‌

स्टैंडर्ड डिडक्शन इनकम का वह हिस्सा है जिस पर टैक्स नहीं होता। यह ऐसी छूट है जिसमें टैक्स बिल में कमी आ जाती है। और खर्च का कोई प्रूफ दिखाने की जरूरत भी नहीं होती। स्टैंडर्ड डिडक्शन को आमतौर पर ग्रॉस सैलरी में से हटा दिया जाता है। यदि ग्रॉस सैलेरी 6 लाख रुपए है तो स्टैंडर्ड डिडक्शन के बाद यह 5.50 लाख रुपए रह जाती है।

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सन 2005 में स्टैंडर्ड डिडक्शन के प्रावधान को फाइनैंशल एक्ट में हटा दिया गया था। वित्त मंत्री अरुण जेटली ने 2018 में दोबारा से बजट में इसका प्रावधान किया। और 19,200 रुपए के हर साल ट्रांसपोर्ट Reimbursement और 15,000 रुपए के medical Reimbursement के स्थान पर 40,000 रुपए के स्टैंडर्ड डिडक्शन का प्रोविजन किया था।

साल 2019 का बजट पेश करते हुए पीयूष गोयल ने स्टैंडर्ड डिडक्शन को बढ़ाकर 50 हजार रुपए का ऐलान किया था। साल 2019 के बाद अभी तक स्टैंडर्ड डिडक्शन में कोई बदलाव नहीं किया गया। लोग इसमें इजाफे का इंतजार कर रहे थे।

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