Rajiv Gandhi Assassination: सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को एक अहम फैसला लेते हुए पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की हत्या मामले में दोषी एजी पेरारिवलन को रिहा करने का आदेश दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने पेरारीवल की रिहाई की याचिका मंजूर कर ली।

सुप्रीम कोर्ट ने पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की हत्या मामले के दोषियों में से एक एजी पेरारिवलन को रिहा करने का आदेश सुनाया है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि राज्य कैबिनेट का फैसला राज्यपाल पर बाध्यकारी है। सभी दोषियों की रिहाई का रास्ता खुला हुआ है। पेरारिवलन उन सात दोषियों में से एक हैं जिन्हें आजीवन कारावास की सज़ा मिली थी। उनके साथ ही इस मामले में संथन, मुरुगन, नलिनी, रॉबर्ट पायस, जयकुमार और रविचंद्रन जेल में सज़ा काट रहे हैं।

पेरारिवलन 30 साल से ज़्यादा समय से जेल में है
पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी वर्ष 1991 के आम चुनाव में प्रचार के दौरान तमिलनाडु के श्रीपेरंबदूर में 21 मई की रात 10 बजकर 21 मिनट पर एक आत्मघाती बम हमले में मारे गए थे। 7 लोगों पर हत्या का जुर्म साबित हुआ और ये सभी जेल भेज दिए गए। इनमें से एक है एजी पेरारिवलन। 2014 में सुप्रीम कोर्ट ने पेरारिवलन की मौत की सजा को उम्रकैद में बदल दिया। इसके बाद उसे रिहा करने की मांग उठने लगी। तमिलनाडु के मुख्यमंत्री स्टालिन ने सभी हत्यारों को 30 साल की सजा काटने के बाद रिहाई की मांग की। उन्होंने राष्ट्रपति को चिट्ठी भी लिखी। राजीव गांधी के हत्यारों को गांधी परिवार ने माफ भी कर दिया है। फिर भी वे जेल से बाहर आने का इंतजार कर रहे हैं। मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा और बुधवार को देश की सबसे बड़ी अदालत ने केंद्र सरकार से पूछ कि वह राजीव गांधी हत्याकांड में 30 साल की सजा काट चुके एजी पेरारिवलन को रिहा क्यों नहीं कर सकती?

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केंद्र ने जवाब दिया कि तमिलनाडु के राज्यपाल ने दोषी को रिहा करने के राज्य मंत्रिमंडल के फैसले को राष्ट्रपति को भेज दिया है जो दया याचिका पर निर्णय लेने के लिए सक्षम अथॉरिटी हैं। शीर्ष अदालत ने कहा कि जब जेल में कम समय की सजा काटने वाले लोगों को रिहा किया जा रहा है, तो केंद्र उसे रिहा करने पर सहमत क्यों नहीं हो सकता। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि प्रथम दृष्टया उसे लगता है कि राज्यपाल का फैसला गलत और संविधान के खिलाफ है क्योंकि वह राज्य मंत्रिमंडल के परामर्श से बंधे हैं और उनका फैसला संविधान के संघीय ढांचे पर प्रहार करता है। न्यायमूर्ति एलएन राव और न्यायमूर्ति बी आर गवई की पीठ ने केंद्र की ओर से पेश अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल केएम नटराज से कहा कि वह एक सप्ताह में उचित निर्देश प्राप्त करें वरना वह पेरारिवलन की दलील को स्वीकार कर इस अदालत के पहले के फैसले के अनुरूप उसे रिहा कर देगी।

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