कांग्रेस की अगली कमान किसे मिलेगी ये सवाल एक बार फिर चर्चा में आ गया है। प्रियंका गांधी के एक किताब को दिए इंटरव्यू के बाद कांग्रेस का अध्यक्ष कौन होगा इस पर चर्चा होने लगी है और यह चर्चा इसलिए भी होने लगी है क्योंकि राहुल गांधी की तरह प्रियंका ने भी गांधी परिवार से बाहर का कांग्रेस अध्यक्ष बनाने की बात कहीं है। कांग्रेस की महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा ने एक किताब को दिए इंटरव्यू में कहा कि, वह निकट भविष्य में पार्टी की बागडोर नहीं संभालने जा रही हैं और राहुल गांधी ही उनके नेता हैं। प्रियंका से पूछा गया कि क्या वह पार्टी का नेतृत्व करेंगी। इस पर उन्होंने इनकार करते हुए कहा कि वह उत्तर प्रदेश में पार्टी को मजबूत करने पर फोकस करेंगी। आगे प्रियंका ने कहा कि, अगर कोई गैर गांधी परिवार का कांग्रेस अध्यक्ष बनता है तो उन्हें उसके साथ काम करने में कोई दिक्कत नहीं होगी। मतलब साफ है प्रियंका गांधी ने गैर गांधी शख्स को कांग्रेस की कमान सौंपे जाने की वकालत की है। उन्होंने कहा कि उनका परिवार राहुल गांधी के अध्यक्ष पद छोड़ने के फैसले और गांधी परिवार के अलावा किसी को अध्यक्ष बनाए जाने की सलाह का सम्मान करता है। किताब में आगे प्रियंका गांधी ने कहा है कि एक पार्टी अध्यक्ष भले ही गांधी परिवार से नहीं हो, वह उनका ‘बॉस’ होगा। वाड्रा ने कहा कि अगर पार्टी अध्यक्ष कल मुझे कहते हैं कि मुझे तुम्हारी जरूरत उत्तर प्रदेश में नहीं, बल्कि अंडमान व निकोबार में है, तो मैं खुशी से अंडमान और निकोबार चली जाऊंगी। राहुल गांधी का साथ देने की बात कहते हुए प्रियंका गांधी ने कहा कि, मेरे भाई ने लोकसभा चुनाव के बाद अपने इस्तीफा पत्र में कहा था कि वह चुनाव की जिम्मेदारी लेता है। फिर बाद में उसने कहा कि गांधी परिवार के अलावा कोई कांग्रेस अध्यक्ष होना चाहिए। मैं उसकी बात से पूरी तरह सहमत हूं। अब पार्टी को अपना आगे का रास्ता खुद तय करना चाहिए यह बातचीत लोकसभा चुनाव के बाद राहुल गांधी के अध्यक्ष पद से इस्तीफा देते समय की गई थी।ये सभी बातें प्रियंका गांधी ने इंडिया टुमॉरो किताब को लोकसभा चुनाव के बाद इंटरव्यू देते समय कही थी। किताब के लेखक प्रदीप चिब्बर और हर्ष शाह हैं। किताब को 13 अगस्त को प्रकाशित किया गया था। जिसके बाद ये मुद्दा एक बार फिर चर्चाओं में है।

प्रियंका का यूपी में फोकस

कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी ने भले ही पार्टी की जिम्मेदारी संभालने की बात से इनकार कर दिया है। लेकिन उन्होंने कहा कि, वह उत्तर प्रदेश में पार्टी को मजबूत करने पर फोकस करेंगी। प्रियंका ने कहा, मैं कहना चाहूंगी कि मेरे लिए मेरा भाई ही लीडर है और वह हमेशा रहेगा। दूसरी बात, मुझे लगता है कि सैकड़ों लोग उत्तर प्रदेश और देश के दूसरे भाग में हैं जो बीजेपी के खिलाफ लड़ने में सक्षम हैं। वे युवा नेता भी हैं। मैं भविष्य की बात नहीं जानती कि क्या होगा। लेकिन पार्टी का नेतृत्व करने के लिए कई लोग सक्षम हैं। उन्होंने कहा कि पिछले तीन-चार साल में मेरे भाई जितना मोदी से किसी ने लड़ाई नहीं लड़ी है। मैं भी पिछले चुनाव में उनके जितना नहीं बोलती थी।

रॉबर्ड वाड्रा पर लगे आरोपों पर सफाई

किताब में प्रियंका गांधी ने पति रॉबर्ट वाड्रा पर भ्रष्टाचार के आरोप पर कहा कि, उनका परिवार बीजेपी के प्रोपेगेंडा का सामना करना जानता है। उन्होंने इस पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि जब आरोप लगा तो मैंने अपने बेटे को सभी ट्रांजेक्शन दिखाया। उस समय वह 13 साल का था। उन्हें समझाया कि क्या आरोप लगा है और क्या सच्चाई है। मैंने अपनी बेटी को भी इसे बताया और समझाया। मैं अपने बच्चों से कुछ भी नहीं छिपाती हूं। उन्होंने कहा कि मैंने अपने बच्चों को समझाया है कि कैसे गलत आरोपों का सामना करना है। प्रियंका ने आगे कहा कि जब मेरा बेटा 10 साल का था और बेटी 8 साल की थी, तभी मैंने फैसला किया कि यह उन्हें समझाने का वक्त है और उन्हें इन आरोपों का सामना करना सिखाया। मैंने अपने बच्चों के साथ मिलकर नेट सर्फिंग की और उन्हें दिखाया कि कैसे एक लेख में इटैलियन नानी के बारे में केजीबी जासूस कहा गया है। लेकिन मेरे बच्चे जानते हैं कि वह तो किचन में समय देने वाली हैं। वह पास्ता बनाती हैं और घर की साफ-सफाई भी करती हैं। ऐसे में वे इस लेख को देखकर हंसने लगे।

प्रियंका के बयान पर कांग्रेस की प्रतिक्रिया

कांग्रेस का कहना है कि प्रियंका गांधी की जिस टिप्पणी को लेकर खबरें चल रही हैं वो एक साल पुरानी है। कांग्रेस ने आरोप लगाया है कि सत्ताधारी भाजपा के इशारे पर यह हो रहा है। कांग्रेस प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने बुधवार को अपने ट्वीट में लिखा, हम प्रियंका गांधी की एक साल पुरानी टिप्पणी में अचानक उपजी प्रायोजित मीडिया की रूची के खेल को समझते हैं। आज समय है मोदी-शाह द्वारा भारतीय लोकतंत्र पर किए बर्बरतापूर्ण हमले का सामना करने और निडरता से इससे लोहा लेने का है। उन्होंने यह भी कहा, नेहरू-गांधी परिवार ने सत्ता के मोह से दूर, सदा सेवाभाव से कांग्रेस को एक सूत्र में बांधे रखा है। 2004 में सोनिया जी ने सत्ता के बजाय पार्टी की सेवा चुनी। 2019 में राहुल जी ने भी दृढ़ विश्वास की हिम्मत दिखाई और कांग्रेस अध्यक्ष पद से इस्तीफ़ा दे दिया।

2019 में राहुल ने दिया था इस्तीफा

2019 के लोकसभा चुनावों में पार्टी की हार के बाद राहुल गांधी ने कांग्रेस अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया था। साथ ही पार्टी की अंदरूनी बैठक में कथित रूप से जोर देकर कहा था कि अगला अध्यक्ष किसी गैर-गांधी शख्स को बनाया जाए। हालांकि सोनिया गांधी को पिछले साल अगस्त में पार्टी का अंतरिम अध्यक्ष बनाया गया था। बता दें कि पिछले कुछ महीनों से पार्टी अध्यक्ष पद के लिए चुनाव कराने की मांग कांग्रेस के भीतर बढ़ी है

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