Gujarat Riot Case: अमित शाह ने कहा कि तत्कालीन गुजरात सरकार पर लगाए सभी आरोप पॉलिटिकली मोटिवेटेड थे। जिन्होंने भी पीएम मोदी पर आरोप लगाए हैं, उन सभी को अब सुप्रीम कोर्ट के जजमेंट के बाद उनसे माफी मांगनी चाहिए। भगवान शंकर से पीएम मोदी की तुलना करते हुए अमित शाह बोले देश का इतना बड़ा नेता एक शब्द बोले बगैर सभी दुखों को भगवान शंकर के विषपान की तरह गले में उतारकर, सहन कर लड़ता रहा। मैंने मोदी जी को नजदीक से इस दर्द को झेलते हुए देखा है। कोई मजबूत मन का आदमी ही ऐसा स्टैंड ले सकता है।

कुछ पत्रकारों और NGO’s ने झूठ प्रचारित किया

अमित शाह ने बताया कि भाजपा की विरोधी राजनीतिक पार्टियां, कुछ आइडियोलॉजी के लिए राजनीति में आए हुए पत्रकार और कुछ NGOs ने मिलकर इन आरोपों को इतना प्रचारित किया और इनका इकोसिस्टम इतना मजबूत था कि धीरे धीरे झूठ को ही सब सच मानने लगे। सुप्रीम कोर्ट ने ये भी कहा कि जकिया जाफरी किसी और के निर्देश पर काम करती थी। कई NGO ने कई पीड़ितों के हलफनामे पर हस्ताक्षर किए और उन्हें पता भी नहीं है। सब जानते हैं कि तीस्ता सीतलवाड़ की NGO ये सब कर रही थी और उस समय की आई UPA की सरकार ने इन NGO की बहुत मदद की थी। सब जानते हैं कि ये केवल मोदी जी की छवि खराब करने के लिए किया गया था।

आरोप था की दंगे मोटिवेटेड थे

अमित शाह दंगों को लेकर बोले कि आरोप यह था कि दंगे मोटिवेटेड थे, दंगों में राज्य सरकार का हाथ था। दंगों में CM का हाथ होने के भी आरोप लगाए गए। दंगे से कौन इनकार कर रहा है। देश में दंगे कई जगह पर हुए। जहां तक दंगो का सवाल है, कांग्रेस के शासन के किन्हीं 5 सालों और भाजपा के शासन के किन्हीं 5 सालों की तुलना करके देख लीजिए। कितने घंटे कर्फ्यू रहा, कितने लोग मारे गए, कितने दिन बंद रहा और दंगा कितने दिन तक चला इन बातों कि तुलना करने पर पता चल जाएगा कि दंगे किसके शासनकाल में अधिक हुए।

कल सुप्रीम कोर्ट ने पीएम मोदी की क्लीन चिट को बरकरार रखा था

सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को PM मोदी के खिलाफ दाखिल याचिका खारिज कर दी थी। यह याचिका 2002 गुजरात दंगों में गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी को क्लीन चिट देने वाली SIT रिपोर्ट के खिलाफ दाखिल की गई थी। ​​​​​सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुनाते हुए कहा कि जकिया की याचिका में मेरिट नहीं है।

यह याचिका जकिया जाफरी ने दाखिल की थी। दरअसल, गोधरा कांड के बाद 2002 में गुजरात में सांप्रदायिक हिंसा भड़क गई थी। उपद्रवियों ने पूर्वी अहमदाबाद स्थित अल्पसंख्यक समुदाय की बस्ती ‘गुलबर्ग सोसाइटी’ को निशाना बनाया था। इसमें जकिया जाफरी के पति पूर्व कांग्रेस सांसद एहसान जाफरी सहित 69 लोग मारे गए थे। इनमें से 38 लोगों के शव बरामद हुए थे, जबकि जाफरी सहित 31 लोगों को लापता बताया गया।

सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में एसआइटी की सराहना करते हुए कहा है कि इसकी जांच और फाइनल रिपोर्ट में कोई खामी नहीं है। अदालत के अनुसार, रिपोर्ट तर्कों पर आधारित है। उसमें सभी पहलुओं पर विचार किया गया है और लगाए गए आरोपों को नकारा गया है।सुप्रीम कोर्ट ने कहा, एसआइटी की फाइनल रिपोर्ट जैसी है, वैसी ही स्वीकार होनी चाहिए। उसमें और कुछ करने की जरूरत नहीं है। मजिस्ट्रेट ने एसआइटी की आठ फरवरी, 2012 को दाखिल रिपोर्ट को देखने और उस पर स्वतंत्र रूप से सोचने-विचारने के बाद स्वीकार किया और एसआइटी को आगे कोई निर्देश नहीं दिया। पीठ ने एसआइटी रिपोर्ट स्वीकार करने और याचिकाकर्ता की पिटीशन खारिज करने के मजिस्ट्रेट के फैसले को सही ठहराया।

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