President Election: देश में राष्ट्रपति चुनावों को लेकर सियासत तेज हो गई है। देश की सत्तारुढ़ दल राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन ने पूर्व राज्यपाल द्रौपदी मुर्मू को राष्ट्रपति पद के लिए अपना उम्मीदवार बनाया है। वहीं विपक्ष ने इस पद के उम्मीदवार के रुप में दिग्गज नेता यशवंत सिन्हा का नाम घोषित किया है। इस सबके बीच एक दशक पहले का एक वाकया हर किसी के जेहन में चल रहा है। दरअसल, आज से ठीक एक दशक पहले जुलाई महीने के 19 तारीख को देशभर की नजरें समाचार चैनलों पर टक-टकी लगाई बैठी थी। दिल्ली में दोपहर करीब 12 बजे पारा 40 डिग्री के पार था। ऐसी ही सियासी तपिश संसद भवन के अंदर भी महसूस की जा रही थी, क्योंकि उस दिन देश के 13वें राष्ट्रपति के लिए मत डाले जा रहे थे। राष्ट्रपति पद के चुनाव के लिए दो पुरोधा आमने-सामने अपनी भविष्य अजमा रहे थे। एक थे प्रणब मुखर्जी और दूसरे पूरनो अगितोक संगमा (पीए संगमा)।
आपको बता दें कि अपने अधिकार के मुताबिक राज्यों के विधायक अपने-अपने प्रदेश की राजधानी तो लोकसभा और राज्यसभा सदस्य संसद भवन के कमरा नंबर 63 में राष्ट्रपति पद के लिए मत डाल रहे थे। बताया जाता है कि विशेष आग्रह किए जाने के बाद उस दिन आठ विधायकों को भी संसद भवन में वोट डालने का अवसर प्राप्त हुआ। इसके अलवा सांसदों को दिल्ली से बाहर उनके गृह राज्यों से मतदान करने के लिए अधिकार दिए गए थे। मतदान के दौरान एक ऐसा वाकया हुआ जो हमेशा के लिए सांसदों के जेहन में बने रहने पर आमदा है।
हुआ यूं कि वादे के मुताबिक दिग्गज नेता मुलायम सिंह यादव यूपीए के तत्कालीन उम्मीदवार प्रणब मुखर्जी के समर्थन में वोट करने मतदान केंद्र पहुंचें। नियम के मुताबिक मुलायम सिंह यादव को बैलट पेपर दिया गया। लेकिन न जाने क्या हुआ उन्होंने यूपीए के उम्मीदवार प्रणब मुखर्जी के नाम के आगे मुहर लगाने के बजाए एनडीए के उम्मीदवार पीएम संगमा के आगे मुहर लगा बैठे। हालांकि, अगले ही कुछ पल में उन्हें अपनी भूल का पता लगा। उन्होंने देर किए वगैर चुनाव अधिकारी के पास गए और दूसरा बैलट पेपर मांगा। राजनीतिक जानकार की मानें तो मुलायम सिंह ने चुनाव अधिकारी से यह कहते हुए बैलेट पेपर मांगा कि वोट में गलती हो गई और यह कहते हुए ही उन्होंने अपना बैलट खुद ही फाड़ दिया। इसके बाद सपा के दिग्गज नेता मुलायम सिंह यादव ने चुनाव अधिकारी से दूसरा बैलट लिया और इस बार उन्होंने प्रणब मुखर्जी के लिए मुहर लगी दी। बताया जाता है कि जब यह वाकया बीजेपी नेता और पीए संगमा के पोलिंग एजेंट सतपाल जैन को पता चला तो उन्होंने सीधा नाराजगी दिखाते हुए चुनाव अधिकारी के समक्ष शिकायत दर्ज कराई। इतनी ही नहीं पीए संगमा की ओर से भी चुनाव आयोग के समक्ष लिखित शिकायत दर्ज कराई गई थी।
बढ़ते बाद-विवाद के बीच आलम यह हुआ कि चुनाव आयोग के निर्देश के बाद मुलायम सिंह यादव की वोट की गिनती नहीं हुई। चुनाव आयोग ने साफतौर पर शब्दों में कहा कि राष्ट्रपति और उप-राष्ट्रपति चुनाव नियम, 1974 के नियम 15 के तहत मुलायम सिंह यादव को दूसरा मतपत्र जारी करना उचित नहीं था, इसलिए उनको जारी किए गए दूसरे मतपत्र को मतगणना के लिए नहीं लिया जा सकता है. मतपत्र की गोपनीयता का भी मुलायम सिंह यादव ने उल्लंघन किया है।
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